मुंबई। फोर्टिस न्यूरोसर्जन को लापरवाही बरतने पर 50 लाख मुआवजे का आदेश दिया गया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने यह आदेश पारित किए। एनसीडीआरसी ने फोर्टिस हेल्थकेयर जयपुर के न्यूरोसर्जनों की अपील को खारिज कर दिया है। साथ ही उन्हें मोबाइल एटलांटो-एक्सियल डिस्लोकेशन (एएडी) से पीडि़त एक मरीज के इलाज में चिकित्सकीय लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

आयोग ने राज्य आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए दोनों डॉक्टरों को शिकायतकर्ता को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। हालांकि, अस्पताल और उसके चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
एनसीडीआरसी ने कहा कि एच. भारतीय और डॉ. वी. वैद के संबंध में राज्य आयोग का आदेश तर्कसंगत है और इसे बरकरार रखा जाना चाहिए। दोनों डॉक्टरों को प्रतिवादी के मृतक बेटे के प्रति सेवा में कमी के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है।

गौरतलब है कि 2011 में भागचंद मीना के बेटे को बचपन में लगी चोट के कारण एएडी से पीडि़त होने के कारण सर्जरी के लिए जयपुर के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एएडी में रीढ़ की हड्डी और ग्रीवा क्षेत्र में चोट लगती है। इससे न्यूरोलॉजिकल स्थिति में लगातार गिरावट आती है। फोर्टिस अस्पताल में मरीज की सर्जरी की गई और दो दिन बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई। हालांकि, बाद में उसे मित्तल अस्पताल में भर्ती कराया गया और वहां हृदयाघात के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

जब शिकायतकर्ताओं ने मुआवज़े की मांग करते हुए राजस्थान में राज्य आयोग का रुख किया, तो अदालत ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान इलाज करने वाले डॉक्टरों की लापरवाही के कारण मरीज की तबीयत बिगड़ी और आखिरकार उसकी मौत हो गई। नतीजतन, इसने फोर्टिस अस्पताल और इलाज करने वाले डॉक्टरों को शिकायतकर्ताओं को 50 लाख रुपये का मुआवज़ा देने का निर्देश दिया।

अस्पताल और डॉक्टरों ने राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। शिकायतकर्ताओं का तर्क था कि मरीज़ का ऑपरेशन करने की कोई जल्दी नहीं थी। डॉक्टरों ने बिना किसी पूर्व-संचालन जांच के ऊपरी रीढ़ की सर्जरी कर दी और बहुत जल्दबाजी में काम किया।