चंडीगढ़। निजी दवा विक्रेता से 6.22 करोड़ की दवा खरीद का भंडाफोड़ हुआ है। पीजीआई में दवा खरीद में बड़ा घोटाला सामने आया है। सरकारी जन औषधि और अमृत फार्मेसी में दवा उपलब्ध न होने का बहाना बनाया गया। पीजीआई प्रशासन ने सिर्फ एक निजी दवा विक्रेता से 6.22 करोड़ की दवाइयां खरीदीं। मेसर्स कुमार एंड कंपनी होलसेलर से यह खरीद 2021-22 वित्तीय वर्ष में की गई। इस पर अब सेंट्रल ऑडिट टीम ने कड़ी आपत्ति जताई है।
यह है मामला
पीजीआई ने सरकारी फार्मेसी में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। पीजीआई प्रशासन ने दवाओं की कमी दूर करने के लिए कभी उनके सामने यह समस्या नहीं उठाई । इन सरकारी फार्मेसी के साथ समझौते के तहत, दवा की उपलब्धता की निगरानी के लिए एक समिति बनाई गई थी।
ऑडिट टीम ने जांच में पाया कि डॉक्टरों ने जानबूझकर ब्रांडेड दवाएं लिखीं। ये ब्रांडेड दवाएं पीजीआई की अपनी फार्मेसी, अमृत फार्मेसी या जन औषधि में उपलब्ध नहीं थीं। हैरानी की बात यह है कि मरीजों को जन औषधि केंद्र पर भी नहीं भेजा गया। जहां सस्ती जेनेरिक दवाएं मिलती हैं। जांच के दौरान 10 दवाओं की खरीद में यह गड़बड़ी स्पष्ट रूप से सामने आई। ये सभी दवाएं सिर्फ मेसर्स कुमार एंड कंपनी होलसेलर से खरीदी गईं।










