नई दिल्ली। च्यवनप्राश ब्रांड को धोखा बताने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को लताड़ लगाई है। पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की। पतंजलि आयुर्वेद ने अपने च्यवनप्राश के विज्ञापन में दूसरी कंपनियों के उत्पादों के लिए धोखा शब्द का इस्तेमाल किया था। इसे लेकर डाबर ने आपत्ति जताई है। जस्टिस तेजस करिया ने कहा कि आप कैसे सभी दूसरी कंपनियों के च्यवनप्राश को धोखा कह सकते हैं। पतंजलि की ओर से यह दावा किया जा सकता है कि उसका उत्पाद सर्वोत्तम है। लेकिन वह किसी अन्य के सामान को फ्रॉड नहीं कह सकते।
बेंच ने कहा कि आप गुणवत्ता की बात कहिए। इसमें क्या समस्या है। लेकिन इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए। आप कह रहे हैं कि बाकी सब धोखा है और मैं सही हूं। आखिर आप कैसे अपने अलावा अन्य सभी च्यवनप्राश को धोखा कह सकते हैं। अदालत ने कहा कि धोखा तो एक नकारात्मक शब्द है। इसका आप प्रयोग कर रहे हैं। दरअसल इस विज्ञापन को लेकर डाबर ने पतंजलि आयुर्वेद पर मुकदमा किया है। डाबर का कहना है कि आपका विज्ञापन मानहानि वाला है। आपने इसके माध्यम से प्रतिस्पर्धा के नियमों को तोड़ा हैैं। कहा गया है कि पतंजलि के विज्ञापन में च्यवनप्राश का बाबा रामदेव प्रचार करते हैं।
वह कहते हैं कि च्यवनप्राश के नाम पर ज्यादातर लोगों के साथ धोखा हो रहा है। इसके आगे विज्ञापन में कहा गया है कि पतंजलि के च्यवनप्राश में ही आयुर्वेद की असली ताकत है। डाबर का कहना है कि यह विज्ञापन हमारे लिए मानहानि जैसा है। हमारा उत्पाद तो 1949 से ही बाजार में है और इसकी काफी प्रतिष्ठा है। डाबर ने अपनी अर्जी में कहा कि च्यवनप्राश के बाजार में हमारी हिस्सेदारी 61 फीसदी है। पतंजलि का यह विज्ञापन हमारी प्रतिष्ठा को धूमिल करता है।










