भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने हाल ही में एक शोध किया जिसमें बताया गया है कि देश में एंटीबॉडी, एंटीवायरल या एंटीफंगल के दुरुपयोग से दवा प्रतिरोध बढ़ रहा है। अक्सर हमें देखने को ये मिलता है कि बुखार होने पर हम जो दवाएं खाते हैं उससे जल्दी ठीक नहीं हो पाते हैं। या फिर लूज मोशन पर दवा खाते हैं लेकिन इसका असर देखने को नहीं मिलता है। इसी को लेकर आईसीएमआर ने शोध किया है।

आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया का कहना है  कि लूज मोशन के लिए दी जाने वाली नोरफ्लॉक्स जैसी ओटीसी दवाएं पेट में होने वाले आम कीड़ों के खिलाफ प्रभावी नहीं हैं। लोग बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबॉयोटिक्स दवाएं ले लेते हैं। उन्हें इसका प्रयोग से बचना चाहिए।

दवा प्रतिरोध का बढ़ता संक्रमण : ICMR

डॉ. कामिनी वालिया ने कहा कि दवा प्रतिरोध के बढ़ते संक्रमण के कारण मरीज का इलाज करने में परेशानी होती है। अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण सुविधाओं में सुधार और एंटीबायोटिक उपयोग को तर्कसंगत बनाने के महत्व पर बेहतर शिक्षा और जागरूकता के लिए अच्छी प्रथाओं को लागू करने की आवश्यकता है।

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आईसीएमआर के द्वारा किए गए इस शोध में भारत के कई प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को शामिल किया गया था। डॉ कामिनी कहा कि आईसीएमआर एएमआर नेटवर्क पूरे भारत के सार्वजनिक और निजी अस्पतालों को कवर करता है और वार्षिक समीक्षा के लिए केवल उच्च गुणवत्ता वाला डेटा एकत्र किया जाता है।

एंटीबायोटिक्स दवाएं लिखने से बचे डॉक्टर

वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया ने कहा कि डॉक्टरों को एंटीबॉयोटिक्स दवाएं लिखने से बचना चाहिए। जरुरत पड़ने पर ही मरीज को ये दवाई दें अन्यथा ऐसा करने से बचें। अभी भी भारत भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध बहुत अधिक है और एंटीबायोटिक नुस्खे को डॉक्टरों द्वारा अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए।