बद्दी, सोलन (हप्र)। साइकोट्रोपिक मेडिसिन की अवैध बिक्री का भंडाफोड़ हुआ है। एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स ने बद्दी में साइकोट्रोपिक दवाओं की अवैध बिक्री का खुलासा किया है। बताया गया है कि इस कंपनी ने मात्र 8 महीने में तीन करोड़ से अधिक गोलियां बना डालीं। कंपनी के पास इन्हें बनाने का लाइसेंस है, लेकिन इन दवाओं की कहां-कहां खपत की गई, इसमें बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है।
इस मामले के तार यूपी, बिहार और महाराष्ट्र तक जुड़े हुए बताए गए हैं। एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स यूपी, बिहार में दबिश देकर किंगपिन की तलाश कर रही है। फार्मा कंपनी पर टैक्स चोरी का भी गंभीर आरोप है। दवा के जिस डिब्बे की कीमत करीब 4200 रुपये है, उसकी कीमत 225 रुपये दिखाई गई। इसे राज्य सरकार को सीधे तौर पर करोड़ों की चपत लगाई है। बता दें कि साइकोट्रॉपिक दवाएं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों के इलाज के लिए उपयोग की जाती हैं। मामला सामने आने के बाद थाना सीआईडी शिमला में केस दर्ज कर लिया गया है।
जानकारी अनुसार यह कार्रवाई हाल ही में ड्रग कंट्रोल विभाग और एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स ने की है। इसमें बड़ी मात्रा में ट्रामाडोल और अन्य नियंत्रित पदार्थों से युक्त दवाइयां अवैध तरीके से बेची जा रही थीं। मेसर्स मेडिक्रॉस लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से संचालित इस फार्मास्युटिकल इकाई ने मेडिडोल एसआर, ट्रोहमा-100, प्रोक्सिमो-स्पास और अन्य साइकोट्रोपिक दवाओं का उत्पादन किया था।
बिना रिकॉर्ड के बेची गई दवाइयां
ड्रग कंट्रोलर ने एंटी नारकोटिक टास्क फोर्स की टीम के साथ इस फार्मा यूनिट का दौरा किया था। पाया गया कि इकाई में उत्पादित दवाइयां विभिन्न राज्यों में थोक विक्रेताओं को बिना उचित रसीदों और रिकॉर्ड के बेची जा रही थीं। कुछ विक्रेताओं के दस्तावेज भी संदिग्ध पाए गए । ये दवाएंं अन्य राज्यों में भी सप्लाई की जा रही थी। ऊना स्थित एक फार्मास्युटिकल्स को मेडिडोल-एसआर टैबलेट और अन्य दवाइयां भेजी गई थीं। यहां ड्रग इंस्पेक्टर ने एक छापे में अवैध रूप से स्टॉक कंट्रोल्ड ड्रग्स जब्त कीं। फार्मास्युटिकल्स के मालिक और अन्य आरोपी इस अवैध कारोबार में शामिल पाए गए। इनके पास बिक्री और आपूर्ति से संबंधित कोई उचित रिकार्ड नहीं था।