नई दिल्ली। इंजेक्शन और दवाओं के लिए क्यूआर बारकोड लागू करने की कवायद शुरू की जाने वाली है। नकली दवाओं की सप्लाई रोकने के लिए अब इंजेक्शन, कैंसर की दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं के लिए क्यूआर कोड अनिवार्य किया जा सकता है।
ये क्यूआर कोड दवाओं की प्रामाणिकता को मान्य करेंगे। दरअसल, स्कैन निर्माता का नाम ,पता, बैच संख्या, निर्माण की तारीख, समाप्ति तिथि; और विनिर्माण लाइसेंस संख्या आदि विवरण के साथ प्रदर्शित करता है।
बता दें कि भारत के शीर्ष दवा नियामक द्वारा यह योजना एलेग्रा, शेल्कल, कैलपोल, डोलो और मेफ्टल स्पास जैसे 300 सामान्य दवा ब्रांडों पर बार कोड या क्यूआर कोड के सख्त कार्यान्वयन के लिए चलाई जा रही है।
दवाओं की गुणवत्ता जांची जाएगी
बता दें कि पिछले सप्ताह आयोजित ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) की बैठक के दौरान टीकों, कैंसर दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करने पर चर्चा की गई थी। इस पहल को चरणबद्ध तरीके से शुरू करने की योजना है। एक अधिकारी ने बताया कि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष दवा नियामक ने अनुसूची एच1 सहित मौजूदा नियमों को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है।
औषधि नियम, 1945 के अनुसार, टीके, कैंसर की दवाएं और एंटीबायोटिक दवाएं अनुसूची एच के अंतर्गत आती हैं। ये उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं हैं और इन्हें डॉक्टर के पर्चे बिना नहीं बेचा जा सकता है।