बेंगलुरु। कर्नाटक राज्य फार्मेसी (केएसपीसी) परिषद को भंग कर दिया गया है। राज्य सरकार ने केएसपीसी के शासी निकाय को भंग कर इसके मामलों के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया है। कई शिकायतों और विस्तृत सरकारी जांच के बाद यह निर्णय लिया गया, बताया गया है कि गंभीर अनियमितताएं, सत्ता का दुरुपयोग और समय पर चुनाव कराने में विफलता के चलते यह कदम उठाया गया।
यह है मामला
खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के आयुक्त के अनुसार, केएसपीसी ने लगभग दो दशकों में उचित चुनाव नहीं कराए हैं। यह परिषद करीब 16 साल पुरानी है और दो निर्वाचित सदस्य बिना किसी पुनर्निर्वाचन के 20 वर्षों तक पद पर बने रहे हैं। इसी तरह, सरकार द्वारा नामित पांच सदस्य 2021 में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद पद में बने हुए हैं।
एक सरकारी आदेश के अनुसार केएसपीसी को 15 विशिष्ट शर्तों के साथ 11 महीने के लिए अनुबंध पर 10 फार्मेसी निरीक्षकों की भर्ती करने की अनुमति दी थी। हालांकि, चेयरमैन और रजिस्ट्रार ने इन शर्तों को नजरअंदाज कर दिया और वेतन मंजूरी के लिए ड्रग कंट्रोलर से परामर्श किए बिना लोगों को काम पर रखा।
निरीक्षकों की नियुक्ति करते समय आरक्षण नीति का भी पालन नहीं किया गया। वहीं, डॉ. क्रांति कुमार सिरसे को परिषद में एक वरिष्ठ पद पर बिना अनुमति नियुक्त किया गया। एफडीए आयुक्त ने रिपोर्ट में कहा है कि केएसपीसी अपनी मूल जिम्मेदारियों में भी विफल रही। इसे लाइसेंस प्राप्त फार्मासिस्टों की सूची बनाए रखना चाहिए और अयोग्य व्यक्तियों को दवाओं को संभालने से रोकना चाहिए। हालांकि, यह ऐसा करने में विफल रही है।