भारत की अग्रणी टीका विनिर्माता कंपनी (manufacturing) बायोलॉजिकल ई लिमिटेड भी अब कोरोनावायरस से बचाव की वैक्सीन का प्रोडक्शन करेगी। हैदराबाद स्थित कंपनी बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने बताया कि कोरोनावायरस रोधी वैक्सीन उत्पादन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बायोलॉजिकल इ को एमआरएनए (mRNA) टेक्नोलॉजी देने का फैसला लिया है।
बायोलॉजिकल लिमिटेड ने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ की टीका उत्पाद विकास परामर्श समिति ने बायोलॉजिकली को एमआरएनए (राइनो राइबो न्यूक्लिक एसिड) टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के लिए चुना है। कंपनी ने अपने बयान में कहा कि भारत से कई प्रस्ताव डब्ल्यूएचओ को भेजे गए थे जिसमें डब्ल्यूएचओ ने एमआरएनए टेक्नोलॉजी के लिए बायोलॉजिकल ई लिमिटेड को चुना।
वैक्सीन उत्पादक बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया, बायोलॉजिकल ई पहले से ही टीका उत्पादन और मैन्यूफैक्चरिंग का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्पादन में एमआरएनए तकनीक निश्चित रूप से बायोलॉजी के वैक्सीन प्रोडक्शन और डेवलपमेंट को और मजबूत बनाएगी।
उन्होंने कहा, डब्ल्यूएचओ और बायोलॉजिकल ई की साझेदारी नेक्स्ट जेनरेशन वाली वैक्सीन विकसित करने की क्षमता को बढ़ाएगा और नतीजतन पूरी दुनिया में पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध हो सकेगा।
बता दें कि डब्ल्यूएचओ और उसके साझेदार एमआरएनए वैक्सीन का जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करना चाहते हैं। वैक्सीन प्रोडक्शन शुरू करने के लिए जरूरी ट्रेनिंग के सिलसिले में एक ड्राफ्ट तैयार करना है। इसके अलावा ऐसी खबरें हैं कि वैक्सीन प्रोडक्शन और एमआरएनए टेक्नोलॉजी पर ट्रेनिंग को लेकर भारत सरकार और बायोलॉजिकल ई जल्द ही काम शुरू कर सकते हैं।
गौरतलब है कि एमआरएनए वैक्सीन में एक मैसेंजर- आरएनए का प्रयोग किया जाता है। इसे लैब में तैयार किया जाता है। इस प्रोसेस में मैसेंजर आरएनए को इंसान के शरीर में मौजूद सेल के बारे में एक तरीके से ट्रेनिंग दी जाती है। इस प्रक्रिया में आरएनए को पता लगता है कि इंसान के शरीर के भीतर प्रोटीन कैसे बनता है। इस तकनीक से शरीर में इम्यूनिटी रिस्पांस शुरू होता है जो किसी खास बीमारी के खिलाफ होता है। इस रिस्पॉन्स के कारण जैसे ही वायरस शरीर में घुसता है उसके खिलाफ आरएनए अपना काम करना शुरू कर देता है।
बता दें कि भारत में अभी कोई भी कोरोना टीका mRNA तकनीक पर विकसित किया हुआ नहीं है। पिछले महीने केंद्र सरकार ने बायोलॉजिकल ई द्वारा विकसित कॉर्बीवैक्स को मंजूरी दी थी। इस टीके का प्रयोग 12 से 14 साल आयु वर्ग के किशोरों को कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए किया जा रहा है।
यह भी दिलचस्प है कि बायोलॉजिकल ई ने एमआरएनए तकनीक आधारित कोरोना वैक्सीन प्रोडक्शन के लिए कैलगिरी की कंपनी प्रोविडेंस थेरैप्यूटिक्स के साथ भी एग्रीमेंट कर चुकी है। जून 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोविडेंस और बायोलॉजिकल ई एमआरएनए टेक्नोलॉजी पर आधारित टीका उत्पादन में परस्पर सहयोग के लिए सहमत हुए थे। एग्रीमेंट के मुताबिक इस करार का मकसद 2022 में वैक्सीन प्रोडक्शन बढ़ाना और भविष्य में एक अरब वैक्सीन उत्पादन करना भी है।