नई दिल्ली। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी की सस्ती जेनरिक दवा के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने स्विस फार्मा कंपनी एफ हाफमैन-ला रोश की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें उन्होंने भारतीय कंपनी नैटको फार्मा को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज के लिए अपनी पेटेंटेड दवा रिस्डिप्लाम के जेनेरिक वर्जन की बिक्री को रोकने का अनुरोध किया था।
दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद नैटको फार्मा इस दुर्लभ आनुवंशिक विकार स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के लिए एक सुलभ और किफायती जेनेरिक दवा बाजार में ला सकेगी। गौरतलब है कि स्विस कंपनी रोश की रिस्डिप्लाम दवा की कीमत सालाना 22 लाख से 72 लाख रुपये के बीच है। विश्लेषकों का अनुमान है कि नैटको की जेनेरिक दवा की कीमत सालाना करीब 3,000 रुपये हो सकती ह। इससे मरीजों को भारी आर्थिक राहत मिलेगी।
बता दें कि स्विस कंपनी रोश ने नैटको फार्मा के खिलाफ पेटेंट उल्लंघन का मामला दर्ज किया था। इसमें उन्होंने नैटको को अपनी जेनेरिक दवा लॉन्च करने से रोकने की मांग की थी। हालांकि, अदालत ने रोश की इस याचिका को खारिज करते हुए नैटको को अपने जेनेरिक दवा के साथ आगे बढऩे की अनुमति दी। इससे दुर्लभ बीमारियों के लिए महंगी दवाओं के सस्ते विकल्प उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।