‘दिल’ के इलाज में जरूरी स्टेंट दो फीसदी महंगा

नई दिल्ली: दिल के मरीजों के इलाज में काम आने वाले स्टेंट की कीमतें 2 फीसदी तक बढ़ा दी गई । होलसेल प्राइस इंडेक्स के मद्देनजर ड्रग प्राइस कंट्रोल रेग्युलेटर (एनपीपीए) ने यह फैसला लिया है। स्टेंट की नई कीमतें आज से ही लागू होंगी। एनपीपीए के अनुसार ट्रेड मार्जिन पहले की तरह 8 फीसदी ही रहेगा। इससे स्टेंट मैन्युफैक्चरर्स और अस्पतालों को काफी राहत मिलेगी। इसके बाद बेयर मेटल स्टेंट की कीमत 7260 रुपए से बढकऱ 7400 रुपए हो जाएगी। वहीं, ड्रग एल्युटिंग स्टेंट की कीमतें 29600 से बढकऱ 30180 रुपए हो जाएंगी। ज्ञातव्य है कि एनपीपीए ने इसी साल फरवरी माह में स्टेंट को प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाते हुए 85 फीसदी कीमतें कम कर दी थीं। इसके बाद से बेयर मेटल स्टेंट की कीमतें 7260 रुपए और ड्रग एल्युटिंग स्टेंट की कीमतें 29600 रुपए तय की थीं। कैपिंग के पहले इनकी कीमतें (एमआरपी) 45 हजार से 1.25 लाख रुपए तक थीं। नई कीमत में वैट समेत अन्य दूसरे टैक्स भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि कोरोनरी स्टेंट की जो कीमत तय हुई हैं, उसमें 8 फीसदी मार्जिन शामिल है। ऐसे में मरीजों से स्टेंट पर लोकल सेल्स टैक्स और वैट के अलावा किसी तरह का एडिशनल चार्ज नहीं लिया जा सकता है। नोटिफाई की गई कीमतों पर लोकल सेल्स टैक्स और वैट के अलावा कोई चार्ज नहीं लिया जा सकता है। सरकार ने कोरोनरी स्टेंट को जुलाई 2016 में जरूरी दवाओं की लिस्ट 2015 में शामिल किया था। दिसंबर 2016 में इसे ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 में शामिल किया गया। 13 फरवरी 2017 को कोरोनरी स्टेंट की कीमतें 85 फीसदी तक घटा दी गईं।  स्टेंट की कीमतें 85 फीसदी तक घटाए जाने के बाद से अस्पतालों में स्टेंट की कमी और ओवरचार्जिंग की रिपोर्ट भी आईं। इसके बाद सरकार ने सख्ती बरतते हुए सभी मैन्युफैक्चरर्स से स्टेंट की कीमतों की जानकारी एनपीपीए की वेबसाइट पर देने को कहा गया है। वहीं, डिपार्टमेंट ऑफ फॉर्मास्युटिकल्स (डीओपी) ने भारत में स्टेंट सप्लाई करने वाली सभी 62 स्टेंट कंपनियों को अलग-अलग लेटर लिखकर ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर लागू किए जाने की जानकारी दी।  डीओपी का कहना है कि मैन्युफैक्चरर्स स्टेंट प्राइस कैपिंग का रूल्स के मुताबिक ही करें। यह तय किया जाए कि स्टेंट सप्लाई कम ना हो। प्रोडक्शन, इम्पोर्ट और सप्लाई की पूरी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी जाए।

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