फार्मेसी कॉउंसिल ने पीपीपी प्रमाणपत्र पर झाड़ा पल्ला

कंपाउंडर

मुम्बई /अम्बाला। महाराष्ट्र में संगठन द्वारा महाराष्ट्र राज्य फार्मेसी कॉउंसिल का नाम इस्तेमाल कर पीपीपी प्रमाणपत्र जारी करने की आड़ में अवैध वसूली पर अब पूर्ण विराम लग गया है। इसकी पुष्टि करने के लिए महाराष्ट्र राज्य फार्मेसी कॉउंसिल द्वारा एक पत्र जारी किया कि पीपीपी प्रमाणपत्र का जहां फार्मेसी एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है, न इस पीपीपी प्रमाणपत्र को कॉउंसिल या औषधि प्रशासन या राज्य /केंद्रीय सरकार ही मानती है, अत: कॉउंसिल का नाम पीपीपी से न जोड़ा जाए। इस बारे जब राज्य फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश से बात की उन्होंने राज्य फार्मेसी कॉउंसिल द्वारा जारी पत्र पर अपनी सहमति प्रकट करते हुए कहा कि यह पत्र तो कई वर्ष पूर्व ही जारी हो जाना चाहिए था। अभी तक जितने भी फार्मासिस्टों के पीपीपी प्रमाणपत्र जारी हुए, कितना धन अर्जन किया गया, सारे मामले की जांच राज्य सरकार व राज्य फार्मेसी कॉउंसिल को अवश्य करवानी चाहिए ताकि बिना स्वीकृति के कॉउंसिल के बैनर का उपयोग पूर्णत: गलत है। अब तक के एकत्रित हुए धन का कहाँ इस्तेमाल किया गया? बाकी धन किस कोष में जमा किया, यह जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि कोई भी फार्मासिस्ट पीपीपी प्रमाणपत्र बनवाने या अन्य किसी भी कागजात हेतु धन खर्च करने से पूर्व उसकी सत्यता बारे फार्मासिस्ट एसोसिएशन से अवश्य जानकारी साँझा कर लें।

Advertisement