एडवांस स्टेज में पहुंच चुके ब्रेस्ट कैंसर मरीजों का भी अब हो सकता है उपचार

इजीचेक -ब्रेस्ट
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भारत में महिलाओं को प्रभावित करने वाले कैंसर का सबसे आम रूप ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) है। अनुमान है कि हर 29 में से 1 महिला को उसकी पूरी जिंदगी में एक बार ब्रेस्ट कैंसर होता है। 2020 में भारत में कुल 1.78 लाख महिलायें ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित थीं। इनमें से 40% से ज्यादा महिलाओं में ब्रेस्ट  कैंसर का पता उसके एडवांस स्टेाज (स्टेज 3 या 4) में जाकर होता है। मौजूदा महामारी के कारण अनेक बाधाएँ उत्पन्न हो गई हैं। इससे निदान में देरी हो रही है और उपचार के पालन में कमी आ रही है। नतीजतन, ग्रामीण और शहरी इलाकों में सीमित जाँच और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही जैसी चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। साथ ही, सामाजिक कलंक, कैंसर का पता चलने या परिवार में इसकी चर्चा करने का डर, स्तन की जाँच में शर्म होना और वैकल्पिक प्राथमिकतायें आदि अन्य चुनौतियाँ हैं जिनके कारण महिलाएँ अपनी सेहत की उपेक्षा करती हैं और जाँच तथा देखभाल में देरी होती है।  इन सभी कारणों से रोग के एडवांस स्टेीज में मरीज के जीवित रहने की दर कम हो जाती है।

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर  कंसल्टेंोट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. श्याम अग्रवाल ने कहा कि, “आजकल दिल्ली और देश भर में ब्रेस्ट कैंसर का उभार कैंसर के सबसे आम रूप मं  हुआ है। कैंसर के इस रूप ने सर्वाइकल कैंसर को भी पीछे छोड़ दिया है। आज महिलाओं के सभी प्रकार के कैंसर में से 30% मामले ब्रेस्ट कैंसर के हैं। भारत में प्रति 100,000 महिलाओं में से 40 में ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है, और 50% से अधिक रोगी बीमारी के एडवांस स्टे ज में निदान के लिए आते हैं। देर से होने वाले निदान की यह प्रवृत्ति देश के अधिक दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त है। इसके पीछे निरक्षरता, सीमित सुविधाएं और सामाजिक कलंक के डर जैसे कारण हैं। रोग की शीघ्र पहचान के लिए 40 वर्ष की आयु के बाद, विशेष रूप से मेनोपॉज़ के दौरान महीने में एक बार स्तन की  खुद जाँच और चिकित्सीय चेक-अप ज़रूरी है। इसके अलावा मैमोग्राम कराने से रोग के निदान में मदद मिलती है। निदान की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी अनिवार्य है। डायग्नोडस हो जाने पर एक्स-रे, बोन स्कैन, अल्ट्रासाउंड और विभिन्न रिसेप्टर टेस्ट समेत कई टेस्ट किये जा सकते हैं जिससे यह पता लगाया जा सके कि रोग शरीर में कहाँ तक फैला है।”कई मरीजों और उनके परिवारों का मानना है कि स्तन कैंसर की एडवांस स्टेज जीवन के अंत का संकेत होता है। कई भारतीय महिलाएँ और उनकी देखभाल करने वाले परिजन मरीजों के बेहतर इलाज पर खर्च करने की जगह परिवार के भविष्य के लिए पैसे जोड़ने में विश्वास रखते हैं।

डॉ अग्रवाल ने यह भी कहा कि, “स्थानिक रूप से उन्नत मामलों के होने पर भी विशेष रूप से जहाँ मेटास्टेसिस नहीं हो रहा है वहाँ रोग का उन्मूलन संभव हो सकता है। उपचार में कीमोथेरपी, सर्जरी, विकिरण प्रक्रियाएं या हार्मोनेल/लक्षित उपचार शामिल हैं। प्रारंभिक अवस्था में आरोग्य की दर 90% से अधिक है। उपचार के तौर-तरीके व्यक्तिगत मामले के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे कि रोग शरीर के विभिन्न भागों में फैल गया हो और इसे ऑपरेशन के अयोग्य मान लिया गया हो। विशेष रूप से उन रोगियों के लिए जो एस्ट्रोजेन रिसेप्टर पॉजिटिव हैं हार्मोनल थेरेपी के नए लक्षित उपचार की पेशकश की जाती है। इस तरह के उपचारों के प्रति 80 से 90% तक रोगी में सकारात्मक प्रतिक्रिया होती हैं और वे बेहतर गुणवत्ता के साथ कई वर्षों तक सामान्य जीवन जी सकते हैं। इसी प्रकार her2 neu पॉजिटव एडवांस्डै मामलों के लिए, कीमोथेरेपी के साथ लक्षित दवाईयां अधिकांश मामलों में इन दिनों समान परिणाम देती हैं। इस तरह के नवाचारों के साथ, कैंसर को एक पुरानी बीमारी के रूप में देखा जा सकता है जिसे ठीक और नियंत्रित किया जा सकता है।”जोखिम के कारकों के प्रति जागरूकता स्वयं स्तन की जाँच करने के लिए मरीजों को प्रेरित करती है। इसके अलावा जाँच कराने से समय पर इस बीमारी का पता चल जाता है।

मरीज के विशिष्ट मामले के आधार पर स्तन कैंसर के इलाज के लिए अनेक प्रकार के विकल्प उपलब्ध हैं। इन विकल्पों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, एडवांस्ड टारगेटेड थेरेपी और हार्मोनल थेरेपी सम्मिलित हैं। इन उपचारों को स्तन कैंसर के उन्नत मामलों के लिए, विशेष कर सामान्य रूप से कार्यशील कोशिकाओं को क्षति पहुँचाये बिना कैंसर को सिकोड़ने या असामन्य स्तन कैंसर कोशिकाओं पर प्रहार करने के लिए अपनाया जा सकता है। नई-नई लक्षित थेरेपी की प्रगति के कारण प्रतिकूल साइड इफ़ेक्ट भी कीमोथेरेपी जैसी ज्यादा परम्परागत उपचार पद्धति के साइड इफ़ेक्ट से कम होती है। कीमोथेरेपी के बाद मरीज को अपनी लाइफ स्टाइल में कई महत्वपूर्ण समझौते करने होते हैं।इस अक्टूबर में स्तन कैंसर जागरूकता माह (ब्रेस्टी कैंसर अवेयरनेस मंथ) मनाया जा रहा है। अब मरीजों और उनकी देखभाल करने वाले परिजनों को एडवांस स्टेज में उपलब्ध स्तन कैंसर के इलाज की जानकारी देने की काफी जरूरत महसूस की जा रही है। अगर आप ब्रेस्ट कैंसर के एडवांस स्टेज की मरीज हैं तो अपनी बीमारी का बेहतर ढग से प्रबंधन करने के लिए अपने कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें, जिससे आप परेशानी पैदा करने वाले लक्षणों को कम कर बेहतर जीवन स्तर और देख-भाल की सुविधा हासिल कर सकती हैं।

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