ऑपरेशन कराने वाले मरीजों की जेब पर बढ़ा भार, 30 फीसदी तक महंगी हुई सर्जरी

झांसी। दवाओं, इंप्लांट्स और दूरबीन के बढ़े दामों के चलते 30 फीसदी तक सर्जरी महंगी हो गई है। ऐसे में ऑपरेशन कराने वाले मरीजों की जेब पर भार बढ़ा है। जितनी बड़ी सर्जरी होती है, मरीजों को उतना ज्यादा पैसे का भुगतान करना पड़ रहा है। बता दें कि यूरीनरी ब्लेडर, ट्यूमर, किडनी स्टोन, गॉल ब्लैडर, एपेंडिक्स, हार्निया और प्रोस्टेट आदि के दूरबीन/लेप्रोस्कोप विधि से होने वाले ऑपरेशन में 30 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। डेंटल की सर्जरी में भी 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।

इंप्लांट भी महंगा हुआ है, ऐसे में जो डेंटल इंप्लांट 12 हजार का आता था, वो अब 15 में मिल रहा है। वहीं, दांत बनाने वाली लैब ने भी मटेरियल महंगा होने पर कीमतें बढ़ा दी हैं। अब मेटल वाला एक दाम 3000 की जगह 4200 में बन रहा है। इसे अलावा दांत के फ्रेक्चर में पड़ने वाली प्लेट और स्क्रू के मूल्य भी 15 फीसदी तक बढ़े हैं। जिला केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव नितिन मोदी ने बताया कि पिछले छह महीने में एंटीबायोटिक दवा मेरोपेनम 35 से 40 फीसदी, प्रिप्रासिलिन पेजोवेक्टम 40-45 प्रतिशत, सेप्ट्रकजोन में 35-40 फीसदी, लिंजोलिड के इंजेक्शन में 30 से 35 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। वहीं, बेहोशी के जाइलोकेन समेत अन्य इंजेक्शनों में 25 से 35 और पेन किलर ट्रामाडोल में 40 से 45, एसिक्लोफेनिक में 55-60 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।

वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट- डॉ. एके सांवल ने बताया कि दूरबीन के दामों में एक लाख और लैप्रोस्कोप के मूल्यों में 50 हजार रुपये तक का इजाफा हुआ है। इस कारण सर्जरी के दामों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये दोनों भारत में नहीं बनते हैं। इन्हें आयात करना पड़ता है। डेंटल स्पेशिलिस्ट- डॉ. रजत मिसुरिया के अनुसार डेंटल इंप्लांट, दांत बनाने का मटेरियल, फ्रेक्चर में इस्तेमाल होने वाली प्लेट और स्क्रू के दामों में 10 से 15 फीसदी बढ़े हैं। दांत बनाने का मटेरियल महंगा होने से लैब ने मेटल के एक दांत की कीमत 1200 तक बढ़ा दी है।

गौरतलब है कि सर्जरी में ज्यादातर एंटीबायोटिक, पेन किलर और एनेस्थीसिया की दवाओं का इस्तेमाल होता है। कच्चा माल महंगा होने की वजह से इनके दामों में लगातार इजाफा हो रहा है। इसका सीधा असर ऑपरेशन पर पड़ा है। इसके अलावा लैप्रोस्कोप और दूरबीन के दाम भी 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक बढ़ गए हैं। ये भारत में नहीं बनते हैं, इनको जर्मनी, जापान, अमेरिका से आयात करना पड़ता है। बताया गया कि एक साल पहले तक सर्जरी में इस्तेमाल होने वाली जो दूरबीन डेढ़ लाख में मिल जाती थी, वो अब ढाई लाख में मिल रही है। इसके अलावा एक लाख रुपये वाला लैप्रोस्कोप डेढ़ लाख में मिल रहा रहा है। दवाओं, दूरबीन, लैप्रोस्कोप के बढ़े दामों के कारण पांच से छह हजार में होने वाली माइनर सर्जरी में दो हजार रुपये बढ़ गए हैं। 25 से 30 हजार में होने वाली दूरबीन की सर्जरी में भी चार से पांच हजार रुपये तक बढ़ गए हैं। वहीं, 70 से 80 हजार में होने वाली गंभीर सर्जरी भी 10 से 15 हजार रुपये महंगी हो गई है।

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