डायबिटीज को जड़ से मिटाने वाली दवा तैयार

भारत में करीब 7.60 करोड़ लोग डायबिटीज-2 से पीडि़त, शुरुआत में दवा देकर कर सकते हैं कंट्रोल
नई दिल्ली। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने टाइप-2 डायबिटीज को पूर्णतया खत्म कर देने वाली दवा का निर्माण करने का दावा किया है। उनका कहना है कि चूहों पर इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब डायबिटीज को खत्म किए जाने के दावा किया गया हो. आए दिन ऐसी कई रिसर्च और प्रयोग सामने आते रहते हैं और चिकित्सा विज्ञानी इस दिशा में लंबे समय से प्रयासरत हैं। डायबिटीज एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. एके झिंगन का कहना है कि यदि इसका क्लीनिकल ट्रायल सफल रहता है तो सबसे ज्यादा लाभ भारतीय मरीजों को मिलेगा। भारत में इस तरह की कोई रिसर्च नहीं हो रही है। हालांकि भारतीय परिवेश में यह दवा कितनी कारगर होगी, यह भी देखना होगा। भारत में खान-पान और जीवनशैली वहां से अलग है।

भारत में टाइप-टू डायबिटीज के करीब सात करोड़ 60 लाख मरीज हैं। देश में इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। अध्ययन में दावा किया गया है कि दवा इंसूलिन रेजिस्टेंस को रिवर्स कर सकती है, इसलिए ये बेहद महत्वपूर्ण है। जयपुर के एसएमएस अस्पताल के एंडोक्रायोनोलॉजी के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. संदीप माथुर का कहना है कि पिछले कई सालों से दुनियाभर में इस पर काम हो रहा है। यदि डायबिटीज की शुरुआत में ही इंसुलिन रेसिस्टेंस का उपयुक्त इलाज कर दिया जाए तो डायबिटीज को रोका जा सकता है। शुरू में ही दवाओं को देकर इस पर हमेशा के लिए कंट्रोल किया जा सकता है।

इंदौर के टोटल डायबिटीज केयर के चेयरमैन और वरिष्ठ डायब्टोलॉजिस्ट डॉ. सुनील एम जैन बताते हैं कि डायबिटीज को जड़ से खत्म करना असंभव नहीं है। वे कहते हैं कि जब शुरुआत में ही डायबिटीज का पता चले तो दवा, डाइट और एक्सरसाइज से इसे कंट्रोल कर पैन्क्रियाज को आराम देना चाहिए। इससे उसके दोबारा काम करने की उम्मीद बढ़ जाती है। डॉ. जैन बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से डायबिटीज रिमिशन की बात चल रही है। पिछले 60-70 सालों में ऐसी दवाएं बनाने के लिए रिसर्च होते थे जिनसे पैन्क्रियाज से ज्यादा से ज्यादा इंसुलिन निकला जा सके, लेकिन अब जो रिसर्च हो रहे हैं उनमें इस बात पर जोर है कि कैसे बिना ज्यादा इंसुलिन निकाले, पैन्क्रियाज को सामान्य रखते हुए ही इंसुलिन को ज्यादा असरदार बनाया जाए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के डॉक्टर रहे दिल्ली के इंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं कि चूहों पर यह दवा सफल रही, मनुष्य पर असर जानने में 3 से 5 साल लेगेंगे। ये बेहद उपयोगी हो सकती है।
ये है एलएमपीटीपी
एलएमपीटीपी लिवर में पाया जाने वाला एक एन्जाइम होता है जो हमारी कोशिकाओं को ऐसा बना देता है जिससे इन्सुलिन का असर खत्म हो जाता है। यह ड्रग इस एन्जाइम को रोक देता है। इससे कोशिकाओं के इंसुलिन रेसप्टर्स दोबारा सक्रिय हो जाते हैं।

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