PGI रोहतक ने बनाया रिकॉर्ड , किया LUNG CANCER का पहला सफल ऑपरेशन

रोहतक। फेफड़ों के कैंसर को लेकर गंभीर और जागरूक नहीं हुए तो यह भयंकर रूप लेने वाला है। अचंभित करने वाली बात है कि पीजीआईएमस की हर ओपीडी में प्रतिदिन फेफड़ों के कैंसर के 10 मरीज आते हैं, जिसमें से 5 मरीज नए होते हैं। यह चिंताजनक है और इसका बड़ा कारण धूम्रपान है। फेफडों का कैंसर साइलेंट किलर की तरह लोगों को चपेट में ले रहा है। पचास वर्ष से अधिक उम्र लोगों में यह समस्या ज्यादा पाई जा रही है। जागरूकता की कमी के कारण करीब 90 प्रतिशत मरीज अंतिम स्टेज में चिकित्सक के पास पहुंच रहे हैं। ऐसे में चिकित्सक चाहकर भी मरीज की जान बचाने में असमर्थ हो जाते हैं।

लेकिन पहली बार इतिहास रचते हुए पीजीआई रोहतक के डॉक्टरों ने फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित मरीज का सफल ऑपरेशन किया है। मरीज को डॉ. संजीव प्रसाद और डॉ. सुनील द्वारा किए गए आपरेशन के बाद अस्पताल में छुट्टी दी गई। यह पहला मरीज है जोकि ऑपरेशन के बाद ठीक है। डॉक्टरों ने चिकित्सा क्षेत्र में रिकॉर्ड बनाते हुए फेफड़े के कैंसर प्रभावित हिस्से को निकाल कर मरीज को नया जीवन दिया है। यह संस्थान का पहला ऐसा केस है, जोकि नए डॉक्टरों के सीखने के लिए है।

चिकित्सकों का कहना है कि फेफड़े के कैंसर का इलाज इम्यूकोथैरेपी व जैनेटिक ड्रग्स से किया जा रहा है। इसी के चलते 50 वर्षीय मरीज को छुट्टी दी गई है। इसे पूर्व दूसरी स्टेज में इलाज के लिए मरीज को कीमोथैरेपी दी गई ताकि कैंसर प्रभावित क्षेत्र को कम किया जा सके। यह ऑपरेशन डॉ. संजीव प्रसाद व डॉ. सुनील ने किया है। यह जानकारी पीजीआईएमएस के पल्मनरी एंड क्रिटीकल केयर मेडिसन (पीसीसीएम) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार ने बीमारी व इसके इलाज की जानकारी साझा करते हुए वर्कशॉप में दी।

डॉ. पवन कुमार ने बताया कि बीड़ी-हुक्का व प्रदूषण लोगों को फेफड़े के कैंसर का रोगी बना रहे हैं। पीजीआईएमएस में हर वर्ष ऐसे औसतन 700 मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें से 90 प्रतिशत तीसरी व चौथी स्टेज पर इलाज के लिए पहुंचते हैं, जिन्हें बचाना मुश्किल होता है। देश में कैंसर से होने वाली कुल मौतों का 40 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर का है। इसका इलाज संभव है, बशर्ते मर्ज की समय रहते पहचान व इलाज हो। लेकिन हैरानी है कि देश में फेफड़े के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।

इनमें से बड़ी संख्या में मरीजों की मौत भी हो रही है। इसकी बड़ी वजह आमतौर पर खांसी या श्वांस संबंधी दिक्कतों को गंभीरता से न लेना व बीमारी की देर से पहचान होना है। फेफड़े के कैंसर से पीड़ित 90 प्रतिशत मरीज तीसरी या चौथी स्टेज पर इलाज के लिए पहुंचते हैं। पीजीआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां हर वर्ष ऐसे औसतन 700 मरीज आ रहे हैं। इनमें से 90 प्रतिशत अंतिम चरण में होते हैं। ऐसे मरीजों को राहत देने के लिए पीसीसीएम की प्रत्येक सोमवार, वीरवार व शनिवार को ओपीडी लगती है। यहां हर ओपीडी के दिन करीब दस केस आते हैं। इनमें से पांच नए मरीज होते हैं।

डॉ. ध्रुव चैधरी ने बताया कि पीजीआईएमएस के पैथोलोजी विभाग में प्रो. डॉ. मोनिका द्वारा अत्याधुनिक फिश टेस्ट किया जा रहा है जो कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में पकड़ उसकी रिपोर्ट देने में वरदान से कम साबित नहीं होगा। थोड़ी सी आशंका होने पर मरीज का सीटी स्कैन करवाएं और लंग कैंसर को टीबी समझ कर इलाज ना करें। सरकार का प्रयास है कि संस्थान के जरिए प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में फेफडों के कैंसर का इलाज शुरू हो सके, जिसके लिए वें चिकित्सकों को प्रशिक्षित करेंगें। डॉ. ध्रुव चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा अत्याधुनिक मशीनें संस्थान में उपलब्ध करवाई गई हैं। ऐसी मशीनें प्राइवेट अस्पतालों में भी नहीं हैं।

पीजीआईएमएस के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार सिंह ने कहा कि फेफड़े के कैंसर पीड़ित ज्यादा जिंदा नहीं रह पाते क्योंकि इनकी सर्जरी कम हो पाती है। जानकारी के अभाव में खतरा बढ़ रहा है। इसके लिए एक तैयार की गई है। पीजीआईएमआर चंडीगढ के चिकित्सक डॉ. नवनीत के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की गई है तथा फेफड़ों के कैंसर पर एक पुस्तक लिखी है। किताब लिखने का उद्देश्य फेफडों के कैंसर की बीमारी पर जागरूकता लाना है। रविवार को कुलपति डॉ. अनिता सक्सेना ने किताब का अनावरण किया।

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार सिंह ने कहा कि पूरे विश्व के आंकडों की बात करें तो हर 3 मिनट में 2 लोगों को कैंसर हो रहा है, वहीं 2 मिनट में एक व्यक्ति की कैंसर से मौत हो रही है। समय पर पहचान से मरीज की जान बचाई जा सकती है। जो किताब लिखी गई है, वो फेफड़ों के कैंसर को लेकर जागरूकता लाने में सहायक होगी। यदि खांसी में खून आता हो, छाती में दर्द रहता हो, मुंह पर सूजन आ गई हो, आवाज बैठ गई हो, अंगूली के आगे वाले हिस्से पर सूजन हो, वजन कम हो गया हो, निमोनिया ठीक नहीं हो रहा हो आदि लक्षण फेफड़ों के कैंसर के हो सकते हैं।

बता दें, डॉ. पवन द्वारा विभागाध्यक्ष डॉ. ध्रुव चैधरी की देखरेख में सोमवार, मंगलवार व शनिवार को ओपीडी के पीसीसीएम क्लीनिक में फेफड़ों के मरीजों की जांच की जाती है।

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