पांच फार्मा कंपनी ने सरेंडर किए लाइसेंस, डबल लाइसेंस रखने का आरोप

मेडिकल स्टोर

बद्दी (हिमाचल प्रदेश)। पांच फार्मा कंपनी ने अपने डबल लाइसेंस में से एक-एक लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं। यह उन्होंने भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा दोहरे लाइसेंस के मसले पर कोई राहत नहीं मिलने के बाद उठाना पड़ा है।

गौरतलब है कि दवा कंपनियों ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के तहत प्राप्त अपने लाइसेंस को सरेंडर करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी मेंं बद्दी स्थित पांच दवा कंपनियों ने अपने लाइसेंस को सरेंडर किया है। वहीं, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत दिए गए लाइसेंस को बरकरार रखा है।

बता दें कि डीसीजीआई ने फरवरी माह में औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और एफएसएसएआई के तहत दोहरे लाइसेंस वाली सभी फार्मास्युटिकल इकाइयों को एक लाइसेंस सरेंडर करने का निर्देश दिया था।

नकली दवा निर्माण को लेकर उठाया कदम

डीसीजीआई ने यह कदम न्यूट्रास्यूटिकल्स की आड़ में नकली दवा निर्माण के मामले सामने आने पर उठाया था। इस संदर्भ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी केंद्रीय नियामक को निर्देश दिए थे।

ये निर्देश फरवरी माह में जारी किए गए थे। जब बीबीएन के दवा उद्योगों की पड़ताल की गई तो पता चला कि क्षेत्र में 58 दवा कंपनियां दोहरे लाइसेंस रखे हुए हंै। राज्य दवा नियंत्रण प्राधिकरण ने 58 ऐसे दवा उद्योगों की सूची तैयार कर डीसीजीआई को सौंपी। इससे दवा निर्माताओं में हडक़ंप मच गया।

दवा निर्माताओं का तर्क है कि उन्होंने नियमानुसार ही दोनों लाइसेंस लेने के बाद काम शुरू किया। उन्होंने दोहरी सुविधाओं की स्थापना में करोड़ों का निवेश किया। हिमाचल ड्रग मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. राजेश गुप्ता ने कहा कि डीसीजीआई की अनुमति के बाद दवा निर्माताओं ने दोहरी सुविधाएं स्थापित की थीं।

दोहरी लाइसेंसिंग की अनुमति देने का निष्कर्ष 37वीं औषधि सलाहकार समिति की बैठक से निकाला गया था। इसमें कहा गया था कि अतिरिक्त क्षमता का उपयोग करने के लिए मौजूदा सुविधाओं में समान प्रकृति के उत्पादों के निर्माण की अनुमति देने में कोई नुकसान नहीं है। इसके बाद एक ही परिसर में न्यूट्रास्यूटिकल्स और दवाओं के निर्माण के लिए दोहरे लाइसेंस दिए गए।

अनुरोध के बावजूद नहीं मिली राहत

हाल ही में जारी आदेशों में दो विपरीत विचार व्यक्त किए गए हैं। इस कारण हमने डीसीजीआई से मामले को देखने और समान दिशानिर्देश तैयार करने का अनुरोध किया था। अभी तक राहत नहीं मिली है।

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