दवाओं की थोक खरीद पर नजर

नई दिल्ली। दवाओं का निर्यात बढ़ाने की कवायद के तहत भारत विकासशील देशोंं की सरकारी खरीद एजेंसियोंं व संस्थाओं की ओर से थोक खरीद पर नजर लगाए हुए है। हालांकि भारत का दवा निर्यात 2017-18 में स्थिर रहा और इसमेंं 2.91 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी हुई, जो इसके पहले साल हुई बढ़ोतरी से 0.16 प्रतिशत ज्यादा है। नीति निर्माता दवाओं का निर्यात बढ़ाने के लिए अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में पहुंचने की कवायद कर रहे हैं।  इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने मेगा फार्मा कॉन्क्लेव में विभिन्न देशों के 100 सरकारी खरीदारों, दवा नियामकों व एनजीओ को आमंत्रित किया। इस अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में 350 से ज्यादा प्रदर्शनी लगाने वाले व 600 से ज्यादा विदेशी खरीदार शामिल हुए।
 इससे भारत को नए देशों में निर्यात का आधार मिलेगा, जहां वृद्धि की अपार संभावना है। इस समय ये निकाय सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भारत से ज्यादातर टीके खरीदती हैं। इसके अलावा देश विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे बहुपक्षीय निकायों का पसंदीदा है, जो उद्योग जगत के अनुमान के मुताबिक देश से करीब 65-70 प्रतिशत वैक्सीन खरीदते हैं।  पिछले वित्त वर्ष के पहले 5 महीने में नकारात्मक क्षेत्र में बने रहने के बावजूद इस क्षेत्र के सालाना आधार पर निर्यात में नवंबर 2017 के बाद से बढ़ोतरी हुई है। हालांकि 2017-18 के आंकड़ों से पता चलता है कि इस दौरान 2.91 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी के साथ निर्यात 17.27 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2016-17 में 16.78 अरब डॉलर था। अमेरिका के साथ कारोबार में आई सुस्ती के बावजूद ऐसा हुआ, जिसकी भारत के दवा निर्यात में हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 29 प्रतिशत है। भारत के दवा निर्यात मेंं उत्तर अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी भारत के दवा कुल निर्यात का करीब एक तिहाई है। बहरहाल हाल के आंकड़ोंं से पता चलता है कि पश्चिम एशिया के राष्ट्रमंडल देशों में निर्यात तेजी से बढ़ा है और इस इलाके मेंं 17 प्रतिशत बढ़ोतरी की वजह आधार का कम होना है।
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