बेंगलूरु। इंजेक्शन वाली नौ दवाएं जांच में फेल पाई गई हैं। इसके चलते ये दवाएं बाजार से वापस मंगाई गई है। बताया गया कि दूसरे राज्यों में निर्मित इंजेक्शन वाली 9 दवाओं के फेल होने के बाद राज्य सरकार ने केंद्र से इन दवाओं की बिक्री रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की है। ये दवाएं पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में बनी हैं।
जांच रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कर्नाटक के बाजारों से इन दवाओं को वापस लेने का आदेश दिया।
स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा को लिखे पत्र में रोगियों के लिए संभावित जोखिमों पर प्रकाश डाला। राज्य में इन दवाओं की बिक्री रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान किया। एक जनवरी से 16 फरवरी के बीच की गई जांच से पता चला कि दवाएं सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरतीं।
परीक्षण में ये दवाएं मिलीं फेल
- मेट्रोनिडाजोल इंजेक्शन : फार्मा इम्पेक्स लैबोरेटरीज, बारुईपुर, पश्चिम बंगाल
- डाक्लोफैनेक सोडियम इंजेक्शन : अल्फा लैबोरेटरीज, इंदौर, मध्य प्रदे
- डेक्सट्रोज इंजेक्शन : रुसोमा लैबोरेटरीज, इंदौर, मध्य प्रदेश
- मेट्रोनिडाजोल : आईएचएल लाइफसाइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, खरगोन, मध्य प्रदेश
- फ्रूसेमाइड : पाकसन्स फार्मास्यूटिकल्स, बहादुरगढ़, हरियाणा
- पिपेरसिलिन-टैजोबैक्टम : मॉडर्न लैबोरेटरीज, इंदौर, मध्य प्रदेश
- कैल्शियम ग्लूकोनेट और ओन्डेनसेट्रॉन : रीगेन लैबोरेटरीज, हिसार, हरियाणा
- एट्रोपिन सल्फेट : मार्टिन एंड ब्राउन बायोसाइंसेज, सोलन, हिमाचल प्रदेश