नई दिल्ली। दर्द निवारक दवा निमेसुलाइड पर प्रतिबंध लगाने की भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने सलाह दी है। औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) के अनुरोध पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकप्रिय दर्द निवारक दवा निमेसुलाइड के 100 मिलीग्राम से अधिक के सभी फॉर्मूलेशन को बैन कर देना जाना चाहिए। इस दवा के सभी उत्पादों पर ‘ब्लैक बॉक्स’ चेतावनी अनिवार्य की जानी चाहिए।
वयस्क मनुष्यों में निमेसुलाइड के खराब सुरक्षा प्रोफ़ाइल पर प्रकाश डाला गया है और सुझाव दिया गया है कि दवा को केवल द्वितीय-पंक्ति उपचार के रूप में आरक्षित किया जाना चाहिए। इसका उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब सभी प्रथम-पंक्ति विकल्प आज़मा लिए गए हों और अप्रभावी पाए गए हों। इस रिपोर्ट के निष्कर्ष वयस्क आबादी में निमेसुलाइड के उपयोग के बारे में सख्त विनियामक निरीक्षण और बेहतर सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। हालांकि निमेसुलाइड बुखार और दर्द के प्रबंधन के लिए एक विकल्प बना हुआ है, लेकिन इसकी खराब सुरक्षा प्रोफ़ाइल के कारण सावधानीपूर्वक विचार करना जरूरी है। यह रिपोर्ट ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड द्वारा सिफारिशों को लागू करने के लिए विचार के लिए प्रस्तुत की गई है।
बता दें कि विशेषज्ञ पैनल ने वयस्कों पर दवा के प्रभाव का आकलन करने के लिए आईसीएमआर को नियुक्त किया। डीटीएबी देश के सर्वोच्च औषधि नियामक प्राधिकरण, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के अंतर्गत आता है। डीटीएबी की सभी सिफारिशें अंतिम मंजूरी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को सौंपी जाती हैं, जो सीडीएससीओ का प्रमुख है।
आईसीएमआर की रिपोर्ट पर डीटीएबी ने पहले ही विचार कर लिया है और डीसीजीआई से मंजूरी मिलने के बाद इसकी सिफारिशें जल्द ही लागू हो सकती हैं। हालांकि, एक दवा कंपनी डीआर रेड्डीज ने दवा पर प्रतिबंध के खिलाफ एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया है। कंपनी का कहना है कि यह दवा वयस्क मानव आबादी में सुरक्षित है। डीटीएबी अब इस मामले में विचार-विमर्श करेगा और सिफारिशें देगा।