कोची। पतंजलि आयुर्वेद के बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने गिरफ्तारी वारंट वापसी के लिए केरल की निचली अदालत का रुख किया है। पतंजलि के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में तय अदालती सुनवाई में उपस्थित न होने के कारण उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। आवेदन में इस वारंट को वापस लेने का आग्रह किया गया है। यह आवेदन व्यक्तिगत रूप से कोर्ट की सुनवाई में उपस्थित होने से छूट देने और उनके बजाय उनके वकीलों द्वारा प्रतिनिधित्व करने से संबंधित है।
यह है मामला
बता दें कि पलक्कड़ में न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट-ढ्ढढ्ढ ने शुरू में अदालत में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी किया था। वे सम्मन के बावजूद मामले की 16 जनवरी की सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए थे। फिर मामले की सुनवाई 1 फरवरी को तय की गई। हालांकि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण 1 फरवरी को भी अदालत में पेश नहीं हुए। इसके चलते मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दएि और मामले को 6 फरवरी के लिए स्थगित कर दिया गया।
रामदेव और बालकृष्ण द्वारा उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट को वापस लेने और अदालत की सुनवाई के दौरान उनकी शारीरिक उपस्थिति से छूट देने के लिए दायर आवेदन पर भी आज सुनवाई होगी। गौरतलब है कि पलक्कड़ ट्रायल कोर्ट के समक्ष मामला पलक्कड़ के औषधि निरीक्षक द्वारा पतंजलि आयुर्वेद से संबद्ध दिव्य फार्मेसी के खिलाफ शिकायत पर दर्ज किया गया था।
आरोप है कि दिव्य फार्मेसी द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों ने औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। केरल में कई आपराधिक मामलों में दिव्य फार्मेसी पर ऐसे विज्ञापन प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया है जो एलोपैथी सहित आधुनिक चिकित्सा का अपमान करते हैं। यही नहीं, बीमारियों को ठीक करने के निराधार दावे भी करते हैं।
ऐसा ही एक मामला कोझीकोड में न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष भी लंबित है। इस मुद्दे ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान तब खींचा था जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ उसके विज्ञापनों को लेकर याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि की दवाओं के विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था और इसके संस्थापकों को भ्रामक दावे करने के लिए अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया था।