मुंबई। फार्मा सिप्ला अफ्रेज़ा इंसुलिन इनहेलेशन पाउडर की भारत में बिक्री कर सकेगी। इसके लिए दवा कंपनी को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से मंजूरी मिल गई है।
गौरतलब है कि मैनकाइंड कॉर्पोरेशन (मैनकाइंड) यूएसए द्वारा निर्मित उत्पाद अफ्रेज़ा का इस्तेमाल मधुमेह के वयस्क रोगियों में ग्लाइसेमिक नियंत्रण में सुधार के लिए किया जाता है।
मुंबई स्थित कंपनी ने कहा कि भारत में मधुमेह प्रबंधन के लिए एक परिवर्तनकारी, रोगी-केंद्रित समाधान लाकर इस दवा को सभी के लिए सुलभ बनाएगी। इससे लाखों लोगों को अधिक आसानी से अपने स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखने में सक्षम बनाया जा सकेगा। कंपनी के अनुसार अफ्रेज़ा एक तेज गति से कार्य करने वाला इंसुलिन है। यह इनहेलर के जरिए दिया जाता है, जबकि वर्तमान में इंसुलिन इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
भोजन की शुरुआत में ली जाने वाली यह दवा फेफड़ों में मुंह से अंदर लेने पर तेजी से घुल जाती है। इससे इंसुलिन को रक्तप्रवाह में तेजी से पहुंचाती है। अफ्रेज़ा 12 मिनट के भीतर ही काम करना शुरू कर देता है और भोजन के साथ शर्करा के स्तर में होने वाली तीव्र वृद्धि को कम करने में मदद करता है। बताया गया कि इस दवा का प्रभाव करीब 2-3 घंटे तक रहता है और यह इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया से काफी मिलता-जुलता है।
दवा कंपनी का कहना है कि यह टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह के रोगियों के लिए विकसित किया गया पहला और एकमात्र गैर-इंजेक्शन योग्य इंसुलिन है। सिप्ला के प्रबंध निदेशक और वैश्विक सीईओ उमंग वोहरा के अनुसारहम मधुमेह रोगियों के लिए रोजाना कई बार इंसुलिन इंजेक्शन लगाने की जरूरत को कम करने की दिशा में प्रयासरत हैं। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो सुइयों से असहज महसूस करते हैं।