नई दिल्ली। हृदय रोग से होने वाली 13 प्रतिशत मौतों का कारण प्लास्टिक पाया गया है। इसका खुलासा एक नए अध्ययन में हुआ है। प्लास्टिक वस्तुओं को बनाने में इस्तेमाल होने वाले फथलेट्स के संपर्क से 2018 में दुनिया भर में हृदय रोग से 3.5 लाख से अधिक या 13 प्रतिशत मौतें हुईं। इनमें 55-64 वर्ष की आयु के लोग शामिल थे।
ईबायोमेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि भारत में सबसे अधिक 103,587 मौतें हुईं। इसके बाद चीन और इंडोनेशिया का स्थान रहा। इसमें यह भी पाया गया कि 3.5 लाख मौतों में से लगभग तीन चौथाई दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हुईं, जबकि वहां फथलेट्स का प्रयोग व्यापक स्तर पर होता है।
न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने 200 देशों और क्षेत्रों में फथलेट्स के संपर्क का अनुमान लगाने के लिए जनसंख्या सर्वेक्षण किया।
इससे प्राप्त स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन में एक प्रकार के फथलेट पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसे डाइ-2-एथिलहेक्सिल फथलेट (डीईएचपी) कहा जाता है – जिसका उपयोग खाद्य कंटेनरों जैसी वस्तुओं में प्लास्टिक को नरम और अधिक लचीला बनाने के लिए किया जाता है।