नई दिल्ली। कफ सिरप मामले में दवा कंपनियों को दिल्ली हाईकोर्ट से फौरी तौर पर राहत मिल गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए दवा कंपनियों को सख्त निर्देश जारी किया है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि ये कंपनियाँ डॉक्टरों, केमिस्टों और खुदरा विक्रेताओं को तुरंत स्पष्ट सलाह दें कि चार साल से कम उम्र के बच्चों को एफडीसी कफ सिरप देना सख्त वर्जित है।

यह निर्णायक कार्रवाई प्रमुख दवा निर्माताओं ग्लेनमार्क और ज़ुवेंटस हेल्थकेयर द्वारा दायर याचिका के जवाब में की गई है। इन्होंने केंद्र सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी थी। इस सरकारी आदेश में चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खास कफ सिरप ब्रांड पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसमें इस आयु वर्ग के लिए गंभीर सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया गया था।

मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने दवा निर्माताओं की इस दलील को स्वीकार किया कि सरकार के आदेश को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि दवा कंपनियों को 15 अप्रैल या उसके बाद निर्मित सभी दवा बैचों के लिए सरकार की अधिसूचना का सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए। अदालत ने कंपनियों को सभी पैकेजिंग लेबल और प्रचार सामग्री पर एक विशिष्ट चेतावनी प्रमुखता से शामिल करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन आवश्यक सार्वजनिक नोटिसों को विज्ञापन के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए और इसे दवा लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।