कोच्चि। किडनी को वैकल्पिक दवाओं के सेवन से गंभीर नुकसान हो सकता है। उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीडि़त लोगों में गुर्दे की बीमारियाँ अक्सर देखी जाती हैं। इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस, नलिकाओं और आसपास के ऊतकों में सूजन से होने वाला विकार इनमें से एक है। भारत में तीव्र गुर्दे की क्षति से पीडि़त 3-5 फीसदी आबादी तीव्र इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस (एआईएन) से प्रभावित होती है।

अपोलो हॉस्पिटल्स, कोच्चि में नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. जोजो पुल्लोकारा के अनुसार एआईएन मुख्य रूप से एक प्रतिरक्षा-मध्यस्थ गुर्दे की क्षति है। यह एनएसएआईडी, मिर्गी-रोधी दवाओं और प्रतिरक्षा जांच अवरोधकों या स्जोग्रेन सिंड्रोम, सारकॉइडोसिस जैसी स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों के कारण होती है। बिना डॉक्टरी पर्ची वाली दवाओं और वैकल्पिक दवाओं का बढ़ता इस्तेमाल इस बीमारी को बढ़ावा देता है। एआईएन के ज़्यादातर मरीज़ों में चकत्ते, बुखार या पेट दर्द जैसे लक्षण या संकेत नहीं होते हैं। डॉ. जोजो ने कहा कि तीव्र अंतरालीय नेफ्राइटिस तीव्र किडनी की चोट का एक आम कारण है।