नई दिल्ली। फार्मास्युटिकल विनिर्माण परितंत्र को मजबूत करने और आयात पर निर्भरता कम करने की कवायद शुरू की गई है। इस दिशा मेे प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने मेसर्स नितिका फार्मास्युटिकल स्पेशियलिटीज नागपुर को वित्तीय सहायता दी है। यह मदद मैन्यूफैक्चर ऑफ कॉम्प्लेक्स एक्सीपिएंट्स परियोजना के लिए दी गई है।
बताया गया है कि औषधीय रूप से निष्क्रिय होने के बावजूद, एक्सीपिएंट दवाओं की कार्यक्षमता, स्थिरता और वितरण में महत्वपूर्ण हैं। दवा के फॉर्मूलेशन अधिक परिष्कृत होने और नवीन वितरण प्रणालियों के उदय के साथ उच्च गुणवत्ता वाले एक्सीपिएंट की मांग भी बढ़ गई है। फार्मास्युटिकल पावर हाउस होने के बावजूद भारत इन जटिल एक्सीपिएंट का बड़ा हिस्सा अमेरिका, चीन और फ्रांस जैसे देशों से आयात करता है।
इस परियोजना से नितिका फार्मास्युटिकल का लक्ष्य उन्नत फार्मास्युटिकल अनुप्रयोगों को पूरा करने वाले 14 जटिल एक्सीपिएंट्स के व्यावसायिक पैमाने पर उत्पादन करना है। इन उत्पादों को गुणवत्ता द्वारा डिजाइन (क्यूबीडी) ढांचे के अनुरूप विकसित किया जाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए सतह क्षेत्र, कण आकार और स्थिरता जैसे मापदंडों में सटीकता सुनिश्चित होगी।
यह परियोजना भारत सरकार की फार्मास्यूटिकल्स उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के साथ भी जुड़ी हुई है। इसके तहत मेसर्स नितिका को ग्रुप सी – एमएसएमई (फार्मास्यूटिकल्स) के तहत लाभार्थी के रूप में चुना गया है। टीडीबी की मदद स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने, आयात निर्भरता को कम करने और उच्च मूल्य वाले फार्मास्यूटिकल घटकों में भारत की निर्यात क्षमता का विस्तार करने के व्यापक राष्ट्रीय मिशन का पूरक है।