नई दिल्ली। Weight loss drugs की मांग में लगातार उछाल आ रहा है। अनुमान है कि इन दवाओं का मार्केट साल 2030 तक 100 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। वजन घटाने की कोशिशें नए स्तरों पर पहुंच गई हैं। एक्सरसाइज और योग वजन घटाने का सबसे आम तरीका है। हालांकि इसमें लगने वाली मेहनत, वक्त और नतीजों को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। इससे वजन घटाने वाली दवाओं को बढ़ावा मिला है। अब इन दवाओं की मांग बढ़ गई है और दुनिया के कारोबार पर अपना असर डाल रही हैं।

GLP-1 ड्रग्स दुनिया की इकोनॉमी पर सबसे अधिक असर डाल रही है। इसका असर सीधे तौर पर फूड इंडस्ट्री पर है। इसके साथ ही हॉस्पिटल और रिटेल इंडस्ट्री पर भी असर देखने को मिल रहा है।

बता दें कि ये दवाइयाँ शरीर के हार्मोन की नकल करती हैं। भूख पर नियंत्रण करती हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करती हैं। इससे इंसान सीमित खाना खाता है और वजन नीचे आने लगता है। हालांकि इन दवाओं के भी साइड इफेक्ट भी हैं। इसी वजह से बिना डॉक्टरी सलाह के इनके इस्तेमाल के लिए मना भी करते हैं।

Wegovy (Novo Nordisk) और Zepbound (Eli Lilly) जैसी GLP-1 ड्रग्स की मांग आसमान छू रही है। इनकी वजह से Novo Nordisk का बाजार मूल्य डेनमार्क की जीडीपी से भी बड़ा हो गया है। 2021 में Wegovy और 2023 में Zepbound को मोटापे के इलाज के लिए मंज़ूरी मिली। अनुमान है कि वजन घटाने वाली दवाइयों का मार्केट 2030 तक 100 अरब डॉलर से ऊपर पहुँच सकता है।