नई दिल्ली। कफ सिरप से मौत पर डब्ल्यूएचओ ने स्पष्टीकरण मांगा है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप के कारण 29 बच्चों की मौत का मामला अब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत सरकार को ईमेल भेजी है और बच्चों को दी जाने वाली दवाओं की सुरक्षा पर स्पष्टीकरण मांगा है। डब्ल्यूएचओ ने सवाल उठाया कि भारत विश्व में कफ सिरप निर्यात में अग्रणी देश ह तो निर्यात से पहले उनकी गुणवत्ता जांच व्यवस्था कितनी मजबूत है। मध्य प्रदेश जैसे हादसों को रोकने के लिए भारत ने अब तक क्या कदम उठाए हैं। संदिग्ध दवाओं की निगरानी प्रणाली (फार्माकोविजिलेंस) किस स्तर पर काम कर रही है।

कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) की पहचान आसान नहीं होती। इसकी पुष्टि में कई महीने लग सकते हैं। यह रसायन सामान्यत: एंटी-फ्रीज एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जब यह दवाओं में मिल जाता है तो किडनी फेल होने, लकवा और मौत तक का कारण बन सकता है।

डब्ल्यूएचओ ने पूछा है कि क्या भारत में भी संक्रमित दवाओं की सार्वजनिक रिकॉल ड्राइव चलाई गई। भारत विश्व में कफ सिरप का सबसे बड़ा निर्यातक है। कुल जेनेरिक दवाओं का सर्वाधिक 20 फीसदी भारत से निर्यात होता है। भारत घरेलू उत्पादन का लगभग 80 फीसदी हिस्सा विदेश भेजता है। इनमें कफ सिरप भी शामिल है।