गाजियाबाद। नकली दवाओं का कारोबार लगातार बढ़ता ही जा रहा हैं। गाजियाबाद जिले में धीरे-धीरे नकली दवाओं का कारोबार बढ़ता जा रहा है। औषधि अनुभाग की रिपोर्ट में पता चला है कि विगत तीन साल में जिले के अलग-अलग हिस्सों में छापामार कार्रवाई के तहत 35 लाख से अधिक मूल्य की नकली व अवैध दवाएं जब्त हुई है। 237 मेडिकल स्टोर्स का लाइसेंस निलंबित करने के साथ ही 26 का लाइसेंस निरस्त किया गया है। तीन एफआइआर दर्ज कराने के साथ छह लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। कोरोनाकाल में नकली दवा की बिक्री के आरोप में 12 मेडिकल स्टोर्स के संचालकों के खिलाफ जांच चल रही है।

औषधि निरीक्षक -अनुरोध कुमार ने बताया कि जिले में 4,044 लाइसेंसी मेडिकल स्टोर हैं। नकली और अवैध दवाओं की बिक्री रोकने के लिए वर्ष 2018 से लेकर जुलाई 2021 के बीच 497 निरीक्षण और 23 छापों के दौरान तीन एफआइआर दर्ज कराते हुए छह लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज गया है। कोरोनाकाल में अवैध दवा बिक्री के आरोप में 20 से अधिक मेडिकल स्टोर संचालकों की जांच चल रही है। दवाओं की कालाबाजारी की भी जांच चल रही है।

नकली दवाओं की बिक्री रोकने व बनाने वालों पर अब तक प्रशासनिक स्तर पर हुई कार्रवाई का हिसाब-किताब समिति लेगी। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की यह समिति गाजियाबाद समेत नौ जिलों में नौ अगस्त तक समीक्षा करेगी। दरअसल, समिति ने आने से पहले ही 20 बिदुओं पर विवरण मांगा है। इनमें मुख्य तौर पर मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री को लेकर विगत चार साल में हुई कार्रवाई के साथ ही नकली दवा बनाने एवं बेचने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई का वर्षवार पूरा विवरण मांगा है। तीन दिन से अधिकारी पूरा विवरण बनाने में जुटे हुए हैं। समिति ने पांच बेहतर काम करने वाले और पांच खराब काम करने वाले खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के नाम एवं उनकी तैनाती की अवधि का ब्योरा भी मांगा है। कोरोनाकाल में नकली दवा बेचने एवं रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर भी समिति द्वारा समीक्षा की जाएगी। 20 सदस्यीय इस समिति में अधिकांश एमएलसी हैं।