नई दिल्ली। दवा कंपनियां अब डॉक्टरों को गिफ्ट नहीं दे सकेंगी। इस संबंध में सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। लिखा गया है कि फार्मा कंपनियां किसी कान्फ्रेंस या सेमिनार के नाम पर डॉक्टरों को विदेश दौरों का प्रस्ताव नहीं दे पाएंगी। पांच सितारा होटल में ठहरने और महंगे व्यंजन व रिजॉर्ट जैसे शान-शौकत से भरे ऑफर देने पर भी रोक रहेगी।
माना जाएगा अपराध
केंद्र सरकार ने चिकित्सकों को मुफ्त उपहार देने वाली फार्मा कंपनियों के खिलाफ सख्त फैसला लिया है। सरकार ने फार्मास्युटिकल विपणन के लिए एक समान संहिता (यूसीपीएमपी) अधिसूचित की है। इसके तहत कोई भी फार्मा कंपनी या उसका एजेंट किसी डॉक्टर और उनके परिजनों को कोई उपहार नहीं देगा। साथ ही विदेशों के दौरे का प्रस्ताव देना भी अपराध की श्रेणी में आएगा।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के संयुक्त सचिव रविंद्र प्रताप सिंह ने देश के सभी फार्मास्युटिकल्स एसोसिएशन को पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि सभी एसोसिएशन को आचार समिति का गठिन करना होगा। अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यूसीपीएमपी पोर्टल का जिक्र भी करना होगा। वहीं, समान संहिता का पालन करना होगा।
यूनिफॉर्म कोड बनाने की उठी थी मांग
गौरतलब है कि साल 2022 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने डोलो-650 टैबलेट लिखने के लिए डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार देने का आरोप लगाया था। इसके चलते यूनिफॉर्म कोड बनाने की मांग उठने लगी थी। नई संहिता के तहत यदि डॉक्टरों को अनैतिक रूप से दवा ब्रांडों को बढ़ावा देने का दोषी पाया गया तो फार्मा कंपनियों के खिलाफ उसी प्रकार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जैसी रिश्वत या इससे जुड़े मामलों में की जाती हैं।
कॉन्फ्रेंस के नाम पर नहीं होंगे टूर
फार्मा कंपनियां किसी कान्फ्रेंस या सेमिनार के नाम पर डॉक्टरों को विदेश दौरों का प्रस्ताव नहीं दे पाएंगी। पांच सितारा होटल में ठहरने और महंगे व्यंजन व रिजॉर्ट जैसे ऑफर भी नहीं दिए जा सकेंगे। संहिता में नकद या मौद्रिक अनुदान के भुगतान पर भी रोक लगाई है।
दवा के फ्री सैंपल का देना होगा पूरा हिसाब
संहिता के अनुसार किसी भी ऐसे व्यक्ति को दवाओं के मुफ्त सैंपल नहीं दिए जाएंगे, जो ऐसे उत्पाद को लिखने के लिए योग्य नहीं है। कंपनी को हर उत्पाद का नाम, डॉक्टर का नाम, दिए गए सैंपल की मात्रा, मुफ्त सैंपल की सप्लाई की तारीख आदि जानकारी देनी होगी।