गोरखपुर। कोरोना की आयुर्वेदिक दवाओं के आगे अंग्रेजी दवाओं का बाजार फीका पड़ गया है। एक तरफ जहां रेमडेसिविर, टासिलीजुमैब इंजेक्शन व फेबिफ्लू की बिक्री में करीब 40 फीसद की कमी आई है वहीं आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री लगभग चार से पांच गुना बढ़ी है। इनमें गिलोय, तुलसी, आंवला जूस, ‘च्यवनप्राश, काढ़ा, आयुष 64, अणु तेल आदि शामिल हैं। दरअसल आयुर्वेदिक दवाओं के विक्रेता संजय भारद्वाज का कहना है कि सबसे ज्यादा बिक्री गिलोय, तुलसी, आंवला जूस व च्यवनप्राश की बढ़ी है। आयुष की दवाएं नई आई हैं, उनकी भी अच्छी बिक्री हो रही है। लॉकडाउन में थोड़ी परेशानी थी लेकिन अब पर्याप्त आपूर्ति होने लगी है। वहीं केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय उपाध्याय का कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन पर्याप्त है। टासिलीजुमैब का एक्सपायरी डेट नवंबर है। नया उत्पाद अभी आया नहीं। इसलिए उसे कम मंगाया जा रहा है। एक तो बहुत महंगा है, दूसरे कंपनी इसे वापस नहीं लेती है। दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया का कहना है कि एलोपैथिक दवाओं की बिक्री में 30 से 40 फीसद की गिरावट आई है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को निश्शुल्क दवाएं मिल रही हैं। संक्रमितों की संख्या भी घट रही है। इस वजह से मांग घटी है। गौरतलब है कि अंग्रेजी दवाओं में इस समय केवल डॉक्सीसाइक्लीन कैप्सूल प्लेन (एंटीबायोटिक) बाजार से गायब है। यह दवा स्वास्थ्य विभाग घर-घर पहुंचा रहा है। इस वजह से व्यापारी नहीं मंगा रहे हैं। बाकी सभी दवाएं उपलब्ध हैं। जहां तक अंग्रेजी दवाओं की उपलब्धता की बात है तो इसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन- 231 वायल है। इसके अलावा टासिलीजुमैब इंजेक्शन- 10 फाइल, फेबिफ्लू 200 एमजी- 10 हजार टेबलेट, फेबिफ्लू 400 एमजी- 02 हजार टेबलेट, आइवरमेक्टिन – 40 हजार गोली उपलब्धता है।