लखनऊ। पेट की बीमारियों के लिए फीकल माइक्रोबियल ट्रांसप्लांट के जरिए अच्छे कीटाणुओं को मल से निकाल उसकी दवा बनाकर मरीजों को ओरल या इंजेक्शन दिया जा रहा है। यह सुनने में अजीब है लेकिन शरीर की हर सेल के लिए कम से कम 10 कीटाणु मौजूद हैं। इन कीटाणुओं को अच्छे और बुरे में पहचान कर दवाइयों के रूप में इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद हो सकता है। यह जानकारी मुंबई के डा. श्रीधरन गणपति ने यूपी पेडिकॉन के दौरान दी। उन्होंने कहा कि ऐंटीबायॉटिक दवाओं से होने वाले नुकसानों को देखते हुए ड्रग्स फ्रॉम द बग्स का कॉन्सेप्ट शुरू हुआ है। डा. गणपति ने कहा कि ऐंटीबायॉटिक्स शरीर में मौजूद अच्छे और बुरे दोनों कीटाणुओं को खत्म कर देती है। इससे मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर फर्क पड़ता है। ऐसे में अच्छे कीटाणु से दवा बनाकर ऐटीबायॉटिक दवाओं से पहले देने से उसका नुकसान कम हो जाता है। इस मौके पर डा. अनूप बाजपेई ने कहा कि अभी तक हम लोग जापानी बुखार की रोकथाम लिए वैक्सीन की दो डोज नियमित समय की अंतराल पर देते थे। लेकिन अब वैक्सीन का एक ही डोज जापानी बुखार से बच्चों का बचाव करेगा। इसकी लागत भी आम आदमी के बजट के अंदर है। वहीं, मुंबई से आईं डा. शफी ने बताया कि जीएसके बायलॉजिकल कंपनी ने ऐसी वैक्सीन ईजाद की है जो एक साथ 6 बीमारियों की रोकथाम करेगी। खसरा, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, हेपेटाइटिस-बी, निमोनिया जैसी 6 बीमारियों का इलाज एक ही इंजेक्शन से संभव है। केजीएमयू के डॉ. निशांत वर्मा का कहना है कि उनके पास आने वाले 100 कैंसर के केसों में 50 केस ब्लड कैंसर के होते हैं। बच्चों में ब्लड कैंसर सबसे आम है। हालांकि सही इलाज से 70-80 फीसदी बच्चों को बचाया जा सकता है। लेकिन उसके लिए अभिभावक और डॉक्टर दोनों को उपाय करने होंगे। बच्चे में खून की कमी के साथ बुखार आए और चेहरे व शरीर में गुलठियां दिखाई दें तो तुरंत बच्चे का ब्लड सेल्स काउंट और ब्लड टेस्ट किया जाना चाहिए।