जबलपुर। आयुर्वेद चिकित्सकों की एलोपैथिक दवा लिखने की पुरानी मांग जल्द पूरी हो सकती है। नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआइएम) विधेयक-2018 राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। इसमें प्रावधान है कि राज्य सरकार चाहे, तो आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाएं प्रिस्क्राइब करने का अधिकार दे सकती है। बिल को लेकर आयुर्वेद चिकित्सक और बीएएएमएस की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं में नई उम्मीद जगी है। इस बिल के संसद के दोनों सदन से पास होने पर आयुर्वेदिक चिकित्सकों के एलोपैथिक दवाएं लिखने का रास्ता साफ हो सकता है। जानकारों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पर एमबीबीएस चिकित्सक सेवाएं देने में दिलचस्पी नहीं लेते, उन जगह पर एलोपैथी में दवा लिखने की छूट मिलने पर आयुर्वेद चिकित्सकों की सेवा ली जा सकेगी। कुछ मरीजों को त्वरित उपचार के तहत एलोपैथी की दवाएं देना जरूरी होता। नए बिल के लागू होने पर मरीज को आयुर्वेद चिकित्सक बेहतर चिकित्सा दे पाएंगे। आयुर्वेद चिकित्सकों की प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्ति की नई राह भी बन सकती है। आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय के अनुसार एनसीआइएम बिल में आयुर्वेद चिकित्सकों के एलौपैथी दवा प्रिस्क्राइब करने का उल्लेख है। यह बिल दोनों सदन में पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा। राज्य सरकार से मांग है कि आकस्मिक स्थिति में मरीज के उपचार के लिए तय सीमा में ऐलोपैथी दवा लिखने की आयुष चिकित्सकों को छूट दें।