नई दिल्ली। ब्लड कैंसर के मरीजों को अब कीमोथेरपी की जरूरत नहीं पड़ेगी। दवाओं से ही काफी हद तक ब्लड कैंसर के मरीजों को ठीक किया जा सकेगा। यह जानकारी देते हुए केजीएमयू के क्लीनिकल हिमेटॉलजी विभाग की ओर से कलॉम सेंटर में आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में पीजीआई चंडीगढ़ के डॉ. पंकज मल्होत्रा ने बताया कि मायलोमा अस्थिमज्जा का कैंसर है। यह बीमारी अब लाइलाज नहीं है।
डॉक्टर पंकज मल्होत्रा ने बताया कि थाइलीडोमाइड व प्रोटीयोसोम इनहिबिटर दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। इसके बाद ब्लड कैंसर के इलाज में कीमोथेरपी की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में मरीज को अस्पताल में भर्ती भी नहीं होना पड़ेगा। आयोजित समारोह में केजीएमयू के क्लीनिकल हिमेटॉलजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल त्रिपाठी ने बताया कि इम्यूनथेरपी व टारगेट सेफ्टी के साथ दवाओं के प्रयोग से ब्लड कैंसर के मरीजों को काफी राहत दी जा सकती है। त्रिपाठी के अनुसार, कीमोथेरपी से जिस मरीज को कुछ ही साल तक ठीक रखा जा सकता था, अब उसी मरीज को दवाओं और अन्य विधियों से दस से 12 साल तक स्वस्थ रखा जा सकेगा।
पीजीआई लखनऊ के डॉ. राजेश कश्यप ने बताया कि क्रॉनिक ल्यूकेमिया (सीएलएल) को भी मोनोक्लोनल एंटिबॉडी से ठीक किया जा सकता है। यह दवा शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। इससे कैंसर का असर कम होता है। डॉ. अनिल त्रिपाठी ने बताया कि ब्लड कैंसर से डरने की जरूरत नहीं हैं। नियमित दवाओं से ब्लड कैंसर के मरीजों को कई साल तक स्वस्थ रखा जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में नियमित इलाज की जरूरत है। केजीएमयू में कई ऐसे मरीज हैं जिनको बीते 10-12 साल से कैंसर है। नियमित दवा लेकर वह बेहतर जिंदगी जी रहे हैं।