नई दिल्ली। कश्मीर में अनुच्छेद 370 के दो खंडों को हटाने के बाद राज्य में फार्मा उद्योग के विकास के आसार बन गए हैं। हालांकि जम्मू पहले से ही दवा का केंद्र है और अब पूरे राज्य में इसके विकास की संभावनाएं जताई जा रही हैं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में फार्मा उद्योग का बाजार 1200 से 1400 करोड़ रुपये का है। जम्मू दवा उद्योग का प्रमुख केंद्र है और यहां ल्यूपिन, सन फार्मा, कैडिला फार्मास्यूटिकल्स जैसी कई कंपनियों के कारखाने हैं। आज जब देश के ज्यादातर स्थानों पर जल संकट चल रहा है और बिजली की लागत बढ़ती जा रही है, वहीं जम्मू-कश्मीर इस मामले में काफी बेहतर है। जम्मू में बिजली करीब 2 रुपये प्रति यूनिट मिलती है, जबकि देश के अन्य इलाकों में बिजली 6 से 7 रुपये प्रति यूनिट मिलती है। इसकी वजह यह है कि वहां पनबिजली का काफी विकास हुआ है। यहां साल के ज्यादातर समय ठंडा मौसम रहने के कारण जम्मू-कश्मीर में बिजली की खपत भी कम होती है।
दवा उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि राज्य में फार्मा सेक्टर का विकास काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार संभावित निवेशकों को किस तरह का प्रोत्साहन देती है और शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं। ठंडा मौसम दवा उद्योग के लिए काफी फायदेमंद भी होता है। फिलहाल, इस इलाके की ज्यादातर दवा फैक्ट्रियां एक्यूट केयर से जुड़ी दवाइयां बनाती हैं। इनमें से करीब 65-70 फीसदी कारखाने गैस्ट्रो इंटेस्टिनल और एंटीबायोटिक्स जैसे मेजर थेरेपी में हैं। गंभीर बीमारियों की बात करें तो ज्यादातर दवाइयां कॉर्डियोलॉजी से जुड़ी हैं, जिसका यहां बड़ा बाजार भी है। ज्यादातर दवा कंपनियां जम्मू और कुछ श्रीनगर से संचालित होती हैं। दवा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि वे अपनी निवेश योजना को आगे बढ़ाने से पहले कुछ इंतजार करने की नीति अपनाएंगे। अब सबकी नजर केंद्र सरकार पर है कि आगे वह निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किस तरह की सहूलियत देती है।