झारखंड सरकार ने सरकारी अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए एक नया फार्मूला पेश किया है। सरकार ने तय किया है कि डॉक्टर ड्यूटी आवर में जितने मरीजों को देखेंगे उतने ही मरीजों को वह प्राइवेट अस्पताल में देख सकेंगे।
इसके साथ ही डॉक्टरों को हर महीने यह सरकारी ब्यौरा देना होगा कि कितने मरीजों का इलाज उन्होंने सरकारी हॉस्पिटल से बाहर किया है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने साइन के बाद यह आदेश जारी कर दिया गया है।
प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए कुछ और शर्ते लगाए गए हैं कि कोई भी डॉक्टर अपनी पोस्टिंग वाले जिले में अधिकतम 4 प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज कर सकेंगे यह भी अनिवार्य किया गया है कि ऐसे हॉस्पिटल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लिस्टेड हो।
डॉक्टर को अस्पतालों की सूची देनी होगी, जहां वे प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं उनकी गिनती कैसे होगी ।
आपको बता दें कि जताते हुए हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था।