नई दिल्ली। क्या कोविड-19 का इलाज करने में परजीवी रोधी दवा आइवरमेक्टिन प्रभावी है या नहीं, इसको जांचने के लिए मिनेसोटा में मानव परीक्षण जल्द शुरू होगा। पात्र होने के लिए अभ्यर्थी को 30-85 साल के बीच और पिछले तीन दिनों में कोरोना पॉजिटिव होना चाहिए। ऐसे लोग पात्र नहीं होंगे जो पहले से ही अस्पताल में भर्ती हैं, या मेटफार्मिन, इंसुलिन, सुल्फोनीलयूरिया ले रहे हैं या दिल, लिवर या किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा मेडिकल स्कूल दो अन्य के साथ दवा का परीक्षण करेगा ताकि वायरस से लड़ने में उसके असर का फैसला किया जा सके। आइवरमेक्टिन अमेरिकी एजेंसी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से खास परजीवी संबंधित स्थितियों का इलाज करने के लिए मंजूर है। लेकिन कई लोग उसका वर्जन खरीद कर खुद को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आइवरमेक्टिन की दूसरी शक्ल घोड़ों और गायों में परजीवी का इलाज करने और कुत्तों के दिल की धड़कन की दवा के तौर पर है। अमेरिका में स्थानीय तौर पर दवा जूं और स्किन की समस्या जैसे रोसैया के लिए इस्तेमाल की जाती है।

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि या तो कोविड-19 के लिए संभावित नया इलाज खोजा जा सकता है, या पूरी तरह से इन दवाओं को खारिज कर दिया जाएगा। सभी तीनों दवा पहले से लोगों को इस्तेमाल करने के लिए स्वीकृत हैं, लेकिन वायरस के लिए नहीं हैं। हाल के दिनों में लोगों की दवा में दिलचस्पी इसलिए बढ़ी है क्योंकि कोरोना का डेल्टा वेरिएन्ट कोविड-19 के ट्रांसमिशन दर में इजाफा करने का कारण बना है और वैक्सीन लगवा चुके लोगों के बीच संक्रमित होने की चिंता भी बढ़ी है।

प्रोत्साहन राशि के तौर पर प्रतिभागी को 400 डॉलर दिया जाएगा। चुने गए प्रतिभागियों को छह समूहों में से एक में रखा जाएगा, जिनमें से प्रत्येक को इलाज के लिए अलग-अलग दवाओं का समूह मिलेगा। एक ग्रुप सिर्फ आइवरमेक्टिन इस्तेमाल करेगा और दूसरे को आइरमेक्टिन और टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल की जानेवाली दवा मेटफार्मिन दी जाएगी। तीसरे ग्रुप को सिर्फ मेटफार्मिन, चौथे को फ्लूवोक्समीन और पांचवें ग्रुप को दोनों दवाइयों का जोड़ दिया जाएगा। छठे और अंतिम ग्रुप को प्लेसेबो मिलेगा।