नई दिल्ली। एक महत्त्वपूर्ण कदम के तहत आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेदिक और अन्य भारतीय पारंपरिक दवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने का रास्ता तैयार कर दिया है। इससे दुनिया में इन दवाओं की उपस्थिति बढ़ेगी और निर्यात क्षमता में भी वृद्धि होगी। इसमें अमेरिका के बाजार का विशेष स्थान है।
भारत की आयुर्वेदिक सहित अन्य सभी देसी दवाइयों की गुणवत्ता सुधारने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय ने अमेरिकी हर्बल फॉर्माकोपिया के साथ समझौता किया है। इसके अंतर्गत आयुष मंत्रालय अमेरिकी हर्बल के साथ मिलकर विशेष अनुसंधान कर उनकी गुणवत्ता और वैज्ञानिक विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए रिसर्च कार्य करेगा। इससे भारतीय दवाओं और चिकित्सापद्धतियों की अमेरिकी बाजार में स्वीकार्यता बढ़ेगी। आयुर्वेद सिद्धा, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों को मूल भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के रूप में देखा जाता है।

वर्तमान में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति और इसकी दवाएं मरीजों के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ समझी जाती हैं। पूरे विश्व में इनका उपयोग हो रहा है। लेकिन केंद्र सरकार भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को लगातार बढ़ोतरी देने के लिए प्रयास कर रहा है और इस समझौते को उसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस समझौते के बाद भारतीय आयुष चिकित्सा संस्थान और अमेरिकी हर्बल कंपनियां इस क्षेत्र की चुनौतियों की पहचान करेंगी और उसके समाधान का मार्ग तलाशेंगी। इसके बाद दोनों देशों की आयुर्वेद दवा निर्माता कंपनियां उस फॉर्मूले को स्वीकार कर उस आधार पर दवाइयों का निर्माण कर सकेंगी। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय चिकित्सा पद्धतियों से विकसित दवाओं की स्वीकार्यता का मार्ग स्वयं खुल जायेगा।

जड़ी-बूटियों से बनने वाली दवाइयों में मोनोग्राफ का विकास करना और औषधीय उत्पादों के मानकीकरण के लिए आंकड़ों का आदान-प्रदान करना इस समझौते की विशेषता है, जिससे भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की दवाओं के लिए नया बाजार विकसित हो जाएगा।

दरअसल, आधुनिक जीवन शैली इस सदी में एक नई बीमारी बनकर उभरी है। इसके कारण हर साल अनेकों लोग मौत का शिकार हो रहे हैं। जबकि भारतीय चिकित्सा पद्धतियां लोगों को अपनी जीवन शैली सुधारने और रोग होने के बाद इलाज करने की बजाय रोग को शरीर के पास ही न आने देने के सिद्धांत पर काम करती हैं। यही कारण है कि भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में अब भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और योग का प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है। भारी संख्या में लोग इसे अपना रहे हैं। वर्तमान समझौते से इन कोशिशों को और बल मिलेगा और भारत की पहचान बढ़ेगी।