पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार में फार्मेसी कॉलेजों की संख्या बहुत कम है। इसके लिए राज्य में छह नए फार्मेसी संस्थान खोले जाएंगे। इसके लिए जिलों का चयन करने और संस्थान खोलने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। राज्य में एमफार्मा की पढ़ाई की दिशा में भी प्रयास जारी हैं।
वे अगमकुआं स्थित राजकीय फार्मेसी संस्थान में इंडियन फार्मास्यूटिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित 57वें राष्ट्रीय फार्मेसी सप्ताह 2018 के वार्षिकोत्सव में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री पांडेय ने कहा कि बी फार्मा की पढ़ाई के लिए नए कॉलेज खोलने को पाठ्यक्रम से लेकर आवश्यक संसाधनों का खाका और पूर्ण कार्य योजना तैयार करने का निर्देश फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. शैलेन्द्र कुमार को सौंपा गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने फार्मेसी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सरदार जगजीत सिंह को वर्ष 2018 और विमल चंद्र झा को वर्ष 2017 के लिए एस लस्कर पुरस्कार देकर सम्मानित किया। कॉलेज स्तर पर आयोजित विभिन्न राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के विजेता सोफिया तरन्नुम, राजीव, प्रतिभा, कमलेश, प्रियंका को पुरस्कृत किया गया। स्वास्थ्य मंत्री पांडेय ने कहा कि दवाइयों का आविष्कार करने, इसका निर्माण करने से लेकर मरीज तक सही दवा पहुंचाने तक में एक फार्मासिस्ट की भूमिका बेहद अहम होती है। आने वाले दिनों में बिहार में फार्मासिस्टों को एक विशिष्ट पहचान के साथ अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। हर एक व्यक्ति, बिहार और भारत के स्वास्थ्य व विकास में फार्मासिस्ट की अहम रोल है। आइपीए बिहार के अध्यक्ष संजीव राय, प्राचार्य प्रो. शैलेन्द्र कुमार, सचिव आर बंद्योपाध्याय, पूर्व अध्यक्ष एलके चौधरी, आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य दिनेश्वर प्रसाद, अजय श्रीवास्तव ने भी फार्मेसी और फार्मासिस्टों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बिहार में फार्मेसी की गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई के लिए कई जरूरी सुझाव दिए।