मुंबई। एचआईवी दवा का स्पेस में निर्माण करने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली है। दवा निर्माण की सफलता के बाद अंतरिक्ष यान वापस लौट आया है। यह हैरान कर देने वाली सफलता अमेरिका की एक कंपनी ने पाई है। कंपनी ने स्पेस में एक कैप्सूल भेजा जिसमें एक दवा का क्रिस्टल पृथ्वी की निचली कक्षा में तैयार किया गया था। ये खास क्रिस्टल एचआईवी और हैपिटाइटिस सी के उपचार में काम आने वाली दवा के हैं।

अमेरिकी स्टार्टअप वर्दा का कैप्सूल स्पेस से धरती पर आया

अमेरिकी स्टार्टअप वर्दा स्पेस इंडस्ट्रीज का एक स्पेस कैप्सूल हाल ही में स्पेस से लौटकर धरती पर आया है। इसमेें एक एंटीवायरल ड्रग के क्रिस्टल हैं जो स्पेस में तैयार किए हैं। वर्दा के अनुसार डब्ल्यू 1 ( विनेबागो-1) अभियान में कैप्सूल की रीएंट्री के बाद उटाह रेगिस्तान के उठाह टेस्ट एंड ट्रेनिंग रेंज में वह उतरा। अब उसे लॉस एंजेलिस में पोस्ट मिशन एनालिसिस के लिए ले जाया जाएगा।

स्पेस कैप्सूल का रीएंट्री कर सफल प्रयोग

बताया गया है कि इन क्रिस्टल को स्पेसक्राफ्ट से निकाल कंपनी के साझेदारों को पास तैयार करने के लिए भेजा जाएगा। कंपनी का कहना है कि इस कैप्सूल की पूरी फ्लाइड के दौरान जमा किए गए आंकड़ों को अमेरिकी एयर फोर्स और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के साथ शेयर किए जाएंगे। विनेबागो -1 को पिछले साल जून में स्पेस एक्स ट्रांस्पोर्टर-8 अभियान के पेलोड के साथ स्पेस में भेजा गया था। बता दें कि किसी निजी कंपनी के स्पेस कैप्सूल ने रीएंट्री कर सफल प्रयोग पहली बार किया है।

रिटोनाविर नाम के दवा के क्रिस्टल

एचआईवी दवा

इसमें ऐसे पदार्थ रखे हुए थे जो रिटोनाविर नाम के दवा के क्रिस्टल बनाने के लिए काम आते हैं। यह दवा एचआईवी और हैपिटाइटिस सी के उपचार में उपयोग में लाई जाती है। कंपनी का कहना है कि स्पेस में तैयार यह दवा धरती पर तैयार दवा से अलग तरह की होगी। इसके अब परीक्षण किए जाएंगे। यह पृथ्वी की निचली कक्षा में व्यवसायिक माइक्रोग्रैविटी और एक औद्योगिक पार्क बनाने की दिशा में पहला कदम है।