रोहतास (बिहार)। ऑक्सीजन सिलेंडर महंगे दाम पर बेचने की शिकायत के बाद विभागीय जांच शुरू होने से सिलेंडर सप्लाई करने वाली दुकानों पर ताले लटक गए हैं। इससे जिले के कई निजी अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल ऑक्सीजन की काफी कमी हो गई है। ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने से गंभीर रोगियों के इलाज से चिकित्सक भी हाथ उठाने लगे हैं। वहीं जिले का ड्रग डिपार्टमेंट सिलेंडर निर्माताओं व बेचने वालों की जांच शुरू कर दिया है। औषधि नियंत्रण प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार आवश्यक दवा की श्रेणी में रखा गया है। शिकायत मिली है कि अधिकांश सिलेंडर विक्रेता कोरोना संक्रमण के दौरान इसे अधिक मूल्य पर बेचे हैं। जबकि इसका मूल्य सरकार ने प्रति क्यूबिक मीटर 25 रुपये निर्धारित किया है। वहीं निर्धारित मूल्य से अधिक पर सिलेंडर बेचे जाने के कारण निजी अस्पतालों में मरीजों से पाइप से ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए अधिक राशि वसूल की जाती है। जहां छोटे सिलेंडर जिसमें एक से डेढ़ क्यूबिक ऑक्सीजन आता है उसकी कीमत भी सौ रुपये तक वसूल की गई है। वहीं होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना मरीजों को भी आवश्यकता पडऩे पर अधिक मूल्य पर खरीदना पड़ रहा है। जिले के निजी अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं होने से गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। स्थानीय एक निजी अस्पताल में बेहोशी के हालत में लाए गए किशोर को चिकित्सक बिना देखे ही सदर अस्पताल ले जाने की सलाह परिजनों को दी। चिकित्सक का कहना था कि हाल के दिनों में मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गई है। वहीं सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. केएन तिवारी का कहना है कि सदर अस्पताल में भी गत एक सप्ताह से ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति नहीं हो रही है। स्टॉक में अब काफी कम सिलेंडर ही बचे हैं, जिससे दो-तीन दिन तक कार्य किया जा सकता है। अगर इस बीच आपूर्ति नहीं हुई तो इलाज करने व एंबुलेंस से रेफर करने में भी गंभीर मरीजों को परेशानी होगी।