कानपुर : जान के खतरे का हवाला देते हुए कंबिनेशन दवाओं के निर्माण पर बेशक सरकार ने बैन लगा कर जनहित में फैसला लेने का दावा किया है, लेकिन रोगी इस फैसले से खुद को पीडि़त महसूस कर रहा हैं। साथ ही, डॉक्टरों को इलाज में परेशानी हो रही हैं।
डायबिटीज, एंटीबायोटिक समेत कई तरह की कॉम्बिनेशन वाली दवाएं मार्केट से गायब हो गई हैं। इन बीमारियों में उपयोग होने वाली एक दवा की बजाय डॉक्टरों को कई-कई गोली लिखनी पड़ रही हैं, जिसको खाने में मरीज भी हिचक रहे हैं। सरकारी बैन से मरीजों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ गया है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर बताते हैं कि गंभीर चोटों के अलावा डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसे रोगों का इलाज कंबिनेशन दवाओं पर रोक के बाद महंगा हो गया है।
ध्यान रहे कि मार्च महीने में केंद्र सरकार ने 344 कंबिनेशन साल्ट से निर्मित दवाओं की बिक्री और उत्पादन पर रोक लगा दी थी। इनमें डायबिटीज की सबसे ज्यादा 23 तरह की दवाएं थीं। हार्ट, ब्लड प्रेशर, खांसी, एंटीबायोटिक आदि की भी दवाएं भी प्रतिबंध में शामिल हैं। हालांकि सरकारी फैसले को फार्मा कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है और मामला विचाराधीन है, लेकिन ज्यादातर कंपनियों ने कंबिनेशन दवाओं का उत्पादन बंद कर दिया है।
डायबिटीज की दवाओं में सबसे जरूरी मालीक्यूल पायोग्लिटाजोन है। इस दवा के साथ कॉम्बिनेशन की दवाएं नहीं मिल रही हैं। मजबूरन चिकित्सकों को पायोग्लिटाजोन को अलग से लिखना पड़ रहा है। जिससे मरीज रोग के साथ-साथ महंगाई की मार भी झेल रहा है। सरकार का फैसला किसी के गले नहीं उतर रहा।