Kerala: केरल (Kerala) के मशहूर प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ कोर्ट ने कार्रवाही करने का फैसला लिया है। कोर्ट ने अस्पताल के 8 डॉक्टरों के खिलाफ भी अवैध रुप से अंगो को निकालने के मामले में मुकदमा दर्ज किया है। ये पूरा मामला साल 2009 का है, जब दुर्घटना से पीड़ित व्यक्ति के अंगों को निकाल लिया गया था।
एक डॉक्टर की शिकायत पर कोर्ट ने फैसला सुनाया (Kerala)
न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट एल्डोस मैथ्यू का यह फैसला एक डॉक्टर की शिकायत पर सुनवाई के दौरान आया है। डॉक्टर का आरोप है कि दुर्घटना के शिकार पीड़ित को उचित इलाज देने से मना किया गया। बिना प्रक्रिया के उसे ब्रेन डैड साबित किया गया। इसके बाद उसके अंगों का नियमों का उल्लंघन कर तथा उचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर एक विदेशी नागरिक में प्रत्यारोपण किया गया।
कोर्ट ने कहा कि तमाम आरोपियों के खिलाफ मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के तहत कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार है। 29 मई को सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि ‘शिकायतकर्ता ने अधिनियम के तहत आवश्यक सभी नियमों का अनुपालन किया है। इसलिए मामला संज्ञान में लिया गया। इसलिए यह निर्देश दिया जाता है कि सभी अभियुक्तों को समन जारी किया जाये।
कोर्ट ने कहा पीड़ित को डॉक्टर बचा सकते थे
कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ समन भेजा जाये। आरोपियों में निजी अस्पताल भी शामिल है जहां पीड़ित की मौत हुई। इसके अलावा प्रत्यारोपण टीम में मौजूद चिकित्सक तथा उन दो अस्पतालों में पीड़ित का परीक्षण करने वाला न्यूरोसर्जन शामिल हैं, जहां दुर्घटना के बाद उसे ले जाया गया था। जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विभिन्न अदालती फैसलों, संबंधित कानूनों और उनके समक्ष प्रस्तुत साक्ष्य पर विचार करने के बाद यह पता चला है कि अगर दुर्घटना के बाद पीड़ित के कपाल गुहा (क्रेनियल कैविटी) में एकत्र हुआ खून निकाल लिया जाता तो उसकी जान बच सकती थी। लेकिन उसकी कपाल गुहा से खून निकालने का कोई प्रयास नहीं किया गया। जबकि पीड़ित का दो अस्पतालों में न्यूरोसर्जन ने परीक्षण किया जहां उसका उपचार किया गया था।
ब्रेन डेड घोषित करने के लिए आवश्यक जांच एपनिया टेस्ट भी नहीं किया
कोर्ट ने कहा कि मरीज को ब्रेन डेड घोषित करने के लिए आवश्यक जांच एपनिया टेस्ट भी नहीं किया गया था। ब्रेन डेड की घोषणा से पहले ट्रांसप्लांट टीम की टीम ने पीड़ित के लिवर का टेस्ट कराया था। डेथ सर्टिफिकेट भी नियम के अनुसार नहीं बनाया गया था। बिना इजाजत के विदेशी नागरिक पर ट्रांसप्लांट किया गया, जो अवैध था। इसमें डॉक्टरों के साथ-साथ अस्पताल प्रशासन भी गुनहगार है।
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