बड़ौत। जिले में कोरोना संक्रमण का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। एक सप्ताह में ही करीब 500 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ चुके है। कोरोना का प्रकोप बढ़ते ही इस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की कमी भी बाजार में दिखाई देने लगी हैै। शहर के कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों ने कोविड में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों व मेडिकल उपकरणों के रेट में 20 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। हालांकि कुछ मेडिकल स्टोर संचालक मांग ज्यादा और स्टॉक कम होने का हवाला देकर रेट बढ़ने की बात कह रहे है।

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष देवेंद्र पंवार ने बताया कि कंपनियों से माल की सप्लाई घटने के कारण दवाइयों और सर्जिकल उपकरणों की उपलब्धता में थोड़ी कमी आई है। कुछ लोग अधिक कीमत वसूल कर दवा व्यापारियों को बदनाम कर रहे हैं। दरअसल कोविड-19 इस्तेमाल होने वाली नामी कंपनियों की एथिकल (पेटेंट ब्रांडेड) दवाओं की जगह जेनेरिक दवाइयों पर लोग ज्यादा विश्वास कर रहे हैं। इनकी बिक्री लगातार बढ़ रही है। इसकी वजह से अप्रैल महीने में इनकी कीमतों में 10 से 15 तक का उछाल आया है।

मार्च तक 550 में बिकने वाली प्लास्टिक भाप मशीन अब 800 से 900 में बिक रही है। 700 रुपये की कीमत का पल्स ऑक्सीमीटर 1000 से 1100 में बिक रहा है। आइवरमेक्टिम, एंजीथ्रोमाइसीन-500, ओक्सीसाइकल-100 व 200 एमजीडोक्सी-100 एमजी व एलीग्रो व एचसीक्यूफेवीग्लू की कीमत 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है। गर्मी के मौसम में कॉटन के मास्क की मांग भी बढ़ी है। चेहरे पर पसीना आने की वजह से लोग कॉटन का मास्क ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरे मास्क लगाने में परेशानी होती है।

ऐसे में कॉटन के मास्क के दाम में भी बढ़ोत्तरी हुई है। 25 रुपये में बिकने वाला मास्क अब 40 रुपये तक में बिक रहा है। इसके अलावा कोरोना से सबसे बेहतर माने जाना एन-95 मास्क भी 50 की बजाय अब 80 रुपये तक में बिक रहा है। नगर व देहात क्षेत्र में स्थित मेडिकल स्टोरों पर पूरे-पूरे दिन दवाइयां लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। इस दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन भी नहीं किया जाता है। पहले दवाइयां लेने को लेकर लोगों में आपाधापी मची रहती है।