इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के मिथक प्रचलित हो रहे हैं। इन्हें लेकर आम लोगों में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। क्या है, इन मिथकों की सच्चाई, इस बारे में आपको बता रहा है
मिथ: क्या ब्लैक टी’ पीने से कोविड-19 संक्रमण से बचाव होता है?
हकीकत: बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि हम अपने शरीर में पानी की कमी न होने दें और तरल पदार्थ लेते रहें। पर, ‘ब्लैक टी’ पीने से न तो कोविड-19 संक्रमण से बचाव होता है और न ही यह इसका इलाज है, बल्कि एक सीमा से अधिक चाय पीने से शरीर में डीहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।
मिथ: क्या पानी से हाथ धोना काफी है, साबुन जरूरी नहीं?
इस भ्रम में न रहें। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार, कोरोना वायरस जिंदा जीव नहीं, एक प्रोटीन मॉलिक्यूल है। यह वायरस अल्पकालिक होता है। इसके ऊपर वसा की मोटी परत है, जो उसका बचाव करती है। इस परत को तोड़ने के लिए साबुन या डिटर्जेंट से हाथ धोना अच्छा उपाय है, क्योंकि झाग वसा को तोड़ता है। हाथ 20 सेकंड अच्छे से रगड़ने से ऊष्मा पैदा होती है और झाग भी बनता है। इससे वसा कण टूटते हैं। इस समय कपड़े आदि भी गर्म पानी से धोएं। इसी तरह एल्कोहल भी वसा को गलाता है। एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर वायरस की परत तोड़ता है।

मिथ:  क्या मास्क पहनने से कोविड-19 संक्रमण से बचाव नहीं होता?
हकीकत: यह सच है कि मास्क पहनने भर से कोविड-19 संक्रमण से बचाव का भरोसा नहीं मिलता। वायरल कण, जिन्हें एरोसॉल्स कहते हैं, उन्हें भेदने में सामान्य मास्क सक्षम होते हैं। संक्रमित व्यक्ति के खांसने से छोटी बूंदें (ड्रॉपलेट) निकलती हैं। इन्हें रोकने में मास्क प्रभावी होते हैं। मास्क पहनना संक्रमित होने की आशंका को भी थोड़ा कम कर सकता है। अगर किसी में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं या इसकी पुष्टि हो चुकी है, तो उसके मास्क पहनने से दूसरों का बचाव संभव है। संक्रमणग्रस्त लोगों की देख-रेख कर रहे लोगों के लिए मास्क पहनना जरूरी है।