गोरखपुर। एक तरफ देश भर में कोरोना की दवा के साथ -साथ ऑक्सीजन की मांग है तो वहीं दूसरी तरफ अचानक खून पतला करने वाली दवा की भी डिमांड बढ़ गई है। बता दें कि कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण खून पतला करने वाली दवाओं की डिमांड बढ़ गई है। इसकी वजह से दवाओं की किल्लत शुरू हो गई है। चेस्ट फिजीशियन डॉ. वीएन अग्रवाल ने बताया कि कई ऐसे मरीज मिल रहे हैं, जिन्हें लक्षण नहीं हैं। फेफड़े के सीटी स्कैन भी सामान्य मिल रहे हैं, लेकिन डी-डाइमर तीन से पांच गुना तक बढ़ गया है। ज्यादा थकान, मांसपेशियों में दर्द और सांस फूलना डी-डाइमर बढ़ने का संकेत है। ऐसे में खून पतला करने की दवाएं दी जाती हैं।
जानकारी के मुताबिक, गंभीर रूप से बीमार मरीजों को खून पतला करने के लिए इनोक्सापैरिन सोडियम इंजेक्शन के तौर पर दिया जाता है। यह बाजार में बेहद कम हो गया है। स्थिति ऐसी है कि कोविड अस्पताल संचालकों को मांग के सापेक्ष महज 20 फीसदी ही मिल पा रही है। कोविड अस्पताल संचालक डॉक्टर शिव शंकर शाही ने बताया कि इस इंजेक्शन की 100 वायल की दरकार थी। मिली सिर्फ 20 वायल। दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया ने बताया कि इनोक्सापैरिन सोडियम इंजेक्शन की मांग पांच से सात गुना तक बढ़ गई है। दवा की अचानक मांग बढ़ने से किल्लत हो गई है। अस्पतालों को जरूरत के मुताबिक दवाएं दी जा रही हैं। किसी को ज्यादा मात्रा में स्टोर करने के लिए नहीं दिया जा रहा है।