नई दिल्ली। गंगाराम अस्पताल और उसके पांच चिकित्सकों पर दिल्ली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (डीएससीडीआरसी) ने 7.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इनको इलाज में लापरवाही बरतने पर एक मृत महिला मरीज के पति को 7.20 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।

आयोग ने ये कहा

डीएससीडीआरसी ने कहा कि डॉक्टरों ने इलाज की मानक पद्धति का पालन किए बिना महिला मरीज का ‘‘एक प्रयोग’’ के रूप में इस्तेमाल किया। आयोग ने मृतका को हुई शारीरिक पीड़ा के लिए 5.10 लाख रुपये, उसके पति को हुई मानसिक परेशानी के लिए 1.20 लाख रुपये और मुकदमे की लागत के रूप में 90,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

चिकित्सकों ने गलत इलाज किया

आयोग ने अपने फैसले में कहा कि अस्पताल व चिकित्सकों ने गलत इलाज किया और ऑपरेशन के बाद मरीज को उचित देखभाल प्रदान करने में वे असफल रहे। उपभोक्ता आयोग ने मृतका के पति की शिकायत पर यह आदेश पारित किया है। इसमें आरोप लगाया गया कि अस्पताल और उसके चिकित्सकों की लापरवाही और पेशेवर कदाचार के कारण 18 जून, 2015 को उसकी पत्नी की मौत हो गई।

न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि अस्पताल शिकायतकर्ता को उसकी पत्नी के पूरे मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने से पहले दो महीने से अधिक समय तक इंतजार कराने के लिए कोई स्पष्टीकरण देने में विफल रहा।

मेडिकल परीक्षण की मांगी थी रिपोर्ट

पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता बसंत लाल शर्मा ने मरीज की मौत से पहले किए गए मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन प्रथम दृष्टया बिना किसी कारण के मामले को लटकाए रखा गया। डॉक्टरों ने या तो मरीज की तिल्ली नहीं हटाई और सर्जरी के लिए मरीज से गलत तरीके से शुल्क वसूल लिया। या फिर गलत परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर गलत पोस्ट-ऑपरेटिव उपचार किया क्योंकि तिल्ली बरकरार थी।

मरीज का इलाज प्रायोगिक स्थल के रूप में इस्तेमाल

क्लीनिकल रिपोर्ट के अनुसार लीवर सामान्य से अधिक आकार का है। हालांकि, अल्ट्रा साउंड रिपोर्ट स्पष्ट कहती है कि लीवर सामान्य आकार का है। फिर से यह भ्रमित आचरण का संकेत है। आयोग ने कहा कि डॉक्टरों की टीम इंसानी जिंदगी से जुड़ा मामला देख रहे थे। ये कोई प्रयोग का मामला नहीं था। डॉक्टर, मरीज का इलाज करते हुए चिकित्सा उपचार के मानकों का पालन किए बिना उसे प्रायोगिक स्थल के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते।

इन डॉक्टरों पर लगा जुर्माना

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के माध्यम से अस्पताल और डॉ. पंकज अग्रवाल, डॉ. अंबुज गर्ग, डॉ. श्याम अग्रवाल, डॉ. सुधीर कल्हान और डॉ. प्रकाश शास्त्री को (प्रत्येक को) मुकदमेबाजी लागत के रूप में 15,000 रुपये (कुल 90,000 रुपये), मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये (कुल 1.20 लाख रुपये) का भुगतान करने का निर्देश दिया।