नई दिल्ली। गर्भवती महिलाओं को मिर्गी की दवा टोपिरामेट का इस्तेमाल करने से मना किया गया है। यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) टोपिरामेट के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। एक अध्ययन में बताया गया है कि जिन माताओं ने गर्भावस्था के दौरान दवा ली थी, उनके बच्चों में न्यूरोडेवलपमेंटल विकलांगता का खतरा बढ़ गया है।

एडीएचडी का जोखिम कई गुना ज्यादा

एमएचआरए को दवा सुरक्षा अद्यतन नोटिस के साथ जुलाई 2022 में टोपिरामेट की सुरक्षा समीक्षा शुरू करने के लिए प्रेरित किया। जेएएमए न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अवलोकन अध्ययन से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान टोपिरामेट लेने वाली माताओं से पैदा होने वाले बच्चों में बौद्धिक विकलांगता, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार और ध्यान घाटे की सक्रियता विकार (एडीएचडी) का जोखिम कई गुना अधिक होता है।

बता दें कि टोपिरामेट एक सामान्य दवा है और इसे टोपामैक्स व अन्य ब्रांड नाम से बेचा जाता है। इसका इस्तेमाल मिर्गी के इलाज और माइग्रेन को रोकने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इंग्लैंड में एक महीने में 55 वर्ष से कम उम्र की 30 हजार से अधिक महिला रोगियों को मिर्गी-रोधी दवा दी जाती है।

मानव औषधि आयोग (सीएचएम) की सिफारिशों के बाद एमएचआरए ने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को सलाह दी है कि गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के इलाज के लिए दवा तब तक निर्धारित नहीं की जानी चाहिए, जब तक कि कोई उपयुक्त वैकल्पिक उपचार न हो।

गर्भावस्था रोकथाम कार्यक्रम का पालन अनिवार्य

इसके अलावा मरीजों को अब गर्भावस्था रोकथाम कार्यक्रम का पालन करना होगा। बच्चे पैदा करने की क्षमता वाली महिलाओं को पूरे इलाज के दौरान प्रभावी जन्म नियंत्रण का उपयोग करना और टोपिरामेट शुरू करने से पहले गर्भावस्था परीक्षण करना जरूरी है। यही नहीं, जोखिम जागरुकता फॉर्म को पूरा करना भी अनिवार्य है।