चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के मद्देनजर अब उन चिकित्सा अधिकारियों की सेवाएं ली जाएंगी, जो अपने आफिस में बैठकर काम करते हैं। ऐसे चिकित्सा अधिकारियों, दांतों के डॉक्टरों और जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों को भी ओपीडी (मरीजों के इलाज) के लिए अपनी पसंद के अस्पताल चुनने का विकल्प दिया गया है। इसके बदले उन्हें कोई अतिरिक्त राशि नहीं दी जाएगी। ओपीडी के लिए चुना गया अस्पताल यदि दूर है तो आने-जाने का किराया (टीए-डीए) सरकार देगी। गौरतलब है कि मनोहर सरकार पिछले चार साल से डाक्टरों की कमी जल्द दूर होने का दावा कर रही है, लेकिन यहां डाक्टर अपनी सेवाएं देना नहीं चाहते। प्राइवेट सेक्टर में उनको मिलने वाली सुविधाएं और वेतन अधिक हैं, जबकि सरकारी सेवाओं में उनके रहने का इंतजाम भी अच्छा नहीं होता। लिहाजा पहले तो यहां डाक्टर आते नहीं और जो आते हैं, वे टिकते नहीं। प्रदेश में आबादी के लिहाज से करीब चार हजार डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन इस समय करीब ढाई हजार ही काम कर रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने अधिकारियों से चर्चा के बाद बीच का रास्ता निकाला है। उन्होंने प्रशासनिक पदों पर तैनात हरियाणा नागरिक चिकित्सा सेवा, हरियाणा दंत चिकित्सा सेवा और जिला आयुर्वेदिक चिकित्सकों को अब सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त क्लीनिकल ड्यूटी देने के आदेश जारी किए हैं। राज्य के अन्य विभागों में कार्यरत या प्रतिनियुक्ति पर गए चिकित्सकों पर यह आदेश लागू नहीं होगा।  यदि किन्हीं कारणों से कोई चिकित्सक यह ड्यूटी करने में असमर्थ रहता है तो उसे अगले सप्ताह अतिरिक्त कार्य दिया जाएगा। स्वास्थ्य महानिदेशक एवं अतिरिक्त स्वास्थ्य महानिदेशक को भी सप्ताह में किसी भी दिन दो घंटे और राज्य के सभी सिविल सर्जन एवं समकक्ष अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन चिकित्सीय कार्य करना होगा। प्रधान चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधीक्षक, उप सिविल सर्जन, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी तथा समकक्ष अधिकारियों को भी सप्ताह में दो दिन चिकित्सीय ड्यूटी करने के आदेश जारी किए गए हैं।