नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन में फैले कोरोना वायरस के चलते भारत में दवाओं का गंभीर संकट पैदा होने के आसार बन सकते है। देश में केवल अप्रैल माह तक का दवा स्टॉक बचा है। दवाओं की कीमत में वृद्धि पर रोक लगाए रखने और इस विकट स्थिति निपटने के लिए सरकारी स्तर पर एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगले एक महीने में चीन से सप्लाई शुरू नहीं हुई तो गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं। गौरतलब है कि भारत में चीन से 80 फीसदी एपीआई (दवा बनाने का कच्चा माल) आता है। वहां से करीब 57 तरह के मॉलिक्यूल्स आते हैं। 19 तरह के कच्चे माल के लिए भारत पूरी तरह से चीन पर ही निर्भर है। चीन में जनवरी में छुट्टियां थीं, इसलिए कच्चा माल कम आया था। उसके बाद वायरस फैल गया और चीन में उत्पादन तत्काल रोक दिया गया। इस कारण सप्लाई एक महीने से ठप है। वहां स्थिति सामान्य होने के बाद जब उद्योग शुरू होंगे तो समुद्री रास्ते से भारत तक दवा पहुंचने में कम से कम 20 दिन लगेंगे। संभावना जताई जा रही है कि भारत सरकार दवाओं के निर्यात पर रोक लगा सकती है। भारत से अलग-अलग देशों में हर साल 1.3 लाख करोड़ रुपए की दवा निर्यात की जाती है। देश में कुल ढाई लाख करोड़ रु. का दवा कारोबार है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि चीन में हालात नहीं सुधरे तो भारत में एंटीबॉयोटिक्स, एंटी डायबिटिक, स्टेरॉयड, हॉर्मोन्स और विटामिन की दवाओं की कमी हो सकती है।