पूरे छत्तीसगढ़ में मेडिकल स्टोर और वेटरनरी मेडिकल स्टोर में बैन इंजेक्शन की जांच की जायेगी। रायपुर, धमतरी, रायगढ़ और राजनांदगांव के दवा कारोबारियों से 35 लाख के इंजेक्शन जब्त किए गए थे। तीन साल पहले ही पुलिस ने नशीली दवाओं का कारोबार करने वाले कारोबारियों का भंडाफोड़ करते हुए गिरफ्तार किया था।
इनमें महावीर नगर का कारोबारी प्रेम झा भी शामिल था। कई महीनों तक फरारी काटने के बाद उसने कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली थी। इसके बाद से उसने प्रतिबंधित इंजेक्शन डायक्लोफेनिक की अवैध तरीके से खरीद-फरोख्त का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम लाखों के अवैध इंजेक्शन बरामद कर जांच कर रही है।
जांच करने पर सामने आया है कि महावीर नगर स्थित सनराइज फार्मा कंपनी के नाम पर प्रेम झा प्रतिबंधित इंजेक्शन को राज्य भर में खपा रहा था, जबकि डायक्लोफेनिक नामक इंजेक्शन की बिक्री पर वर्ष 2015 में केंद्र सरकार प्रतिबंध लगा चुकी है। इसके बाद भी राजस्थान की जीबीएल फार्मास्यूटिकल कंपनी इस इंजेक्शन का निर्माण कर गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की फर्म लाइफ वे फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और रायपुर की सनराइज फार्मा के जरिए खपाया जा रहा था।
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ड्रग कंट्रोलर ने अपने पत्र में राजस्थान जीबीएल फार्मास्युटिकल लिमिटेड और यूपी गाजियाबाद की फर्म मैसर्स लाइफ वे फार्मास्युटिकल के संबंध में जानकारी मांगी है। ये दोनों ही फर्म छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित डाइक्लोफेनिक इंजेक्शन की मल्टीपल यानी बड़ी डोज की सप्लाई कर रहे थे। जब्त किए गए इंजेक्शनों को के संबंध में कोर्ट से सुपुर्दगी ले ली गई।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सहायक नियंत्रक बसंत कौशिक ने कहा, प्रतिबंधित इंजेक्शन डायक्लोफेनिक की अवैध तरीके से खरीद-फरोख्त मामले की जांच चल रही है। इस मामले में जांच के दायरे में कई लोग शामिल हैं जिनके खिलाफ जांच जारी है। प्रतिबंधित दवा बेचने के मामले में 10 साल की सजा का प्रावधान है।